चिंटू का बर्थडे के निर्देशकों ने टारनटिनो की फिल्मों पर कही ये बात
चिंटू का बर्थडे के निर्देशकों ने टारनटिनो की फिल्मों पर कही ये बात
मुंबई, 22 जून (आईएएनएस)। निर्देशक जोड़ी देवांशु कुमार और सत्यांशु सिंह को उनकी डिजिटल फिल्म चिंटू का बर्थडे के लिए हाल ही में काफी सराहा गया। दोनों ने हॉलीवुड के जाने-माने फिल्मकार क्वेंटिन टारनटिनो की फिल्मों पर बात करते हुए अपनी राय रखी। टारनटिनो की फिल्मों में बुराई को जिस अंदाज में बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, उससे ये कुछ असहमत नजर आए।
देवांशु ने आईएएनएस को बताया, जब आप चिंटू का बर्थडे को देखेंगे, तो पाएंगे कि हमने किस तरह से अच्छाई को एक वृहद स्तर पर दिखाने का प्रयास किया है। फिल्म में युद्ध क्षेत्र में भी जिंदगी के सकारात्मक पक्ष को उजागर किया गया है। मेरे दिमाग में हमेशा से एक सवाल रहा है और मैं आप सबसे यह पूछना चाहता हूं कि जब हम पर्दे पर बुराई को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं, जब हम वल्र्ड सिनेमा को देखते हैं, खासकर क्वेंटिन टारनटिनो की फिल्मों में बुराई या नकारात्मकता का बखान एक बड़े पैमाने पर किया जाता रहा है। लोगों को भी यह काफी कूल लगता है, फिल्म महोत्सवों में इस तरह की फिल्में तारीफें बटोरती हैं, क्रिटिक्स और बुद्धिजीवी भी इन्हें काफी बेहतर मानते हैं, दर्शकों को भी इस तरह की फिल्मों की तलाश रहती है।
सत्यांशु इस पर आगे कहते हैं, अब मैं एक उदाहरण पेश करना चाहता हूं। जब सूरज बड़जात्या अपनी कहानियों में खुशी, सकारात्मकता, किरदारों की अच्छाइयों का बखान करते हैं, तब हमें क्यों तकलीफ होती है? हम इस तरह की फिल्मों को गंभीरता से क्यों नहीं लेते हैं? हमें इंसानों के अच्छे पक्ष को अतिरंजित करने में शर्म नहीं आनी चाहिए क्योंकि यही एक पक्ष हमें बचाए रखने में मददगार साबित हो सकता है, खासकर किसी संकट की घड़ी में।