Film Review: समाज पर कटाक्ष करती दिल छू लेने वाली एक कहानी है 'अज्जी'

Film Review: समाज पर कटाक्ष करती दिल छू लेने वाली एक कहानी है 'अज्जी'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-24 10:33 GMT
Film Review: समाज पर कटाक्ष करती दिल छू लेने वाली एक कहानी है 'अज्जी'

निर्देशक देबाशीष मखीजा ने अपनी 104 मिनट की फिल्म "अज्जी" में समाज को इस तरह से टारगेट किया है कि यह कहानी आपका दिल छू लेगी। आइए समीक्षा के माध्यम से जानते हैं कि फिल्म की कहानी में ऐसा क्या दिखाया गया है कि इसे फिल्म फेस्टिवल में अवार्ड मिल गए। 

डायरेक्टर: देवाशीष मखीजा
संगीत: मंगेश धाकड़े
कलाकार: सुष्मिता देशपांडे, शरवानी सूर्यवंशी, अभिषेक बैनर्जी
शैली: ड्रामा
रेटिंग: 3.5 स्टार 

अवधि: 104  मिनट
सर्टिफिकेट: U

  
कहानी:

इस फिल्म में कुल पांच ही किरदार हैं जिनके आस-पास कहानी घूमती है। नेता के रेपिस्ट बेटे के रोल में अभिषेक बैनर्जी दिखे हैं वहीं सुधीर पांडे एक कसाई के रोल में हैं जो अज्जी को मीट काटना सिखाते हैं। अज्जी की कहानी मुंबई के सैकड़ों स्लम्ज में बसे लाखों लोगों में से किसी की भी कहानी हो सकती है। ये एक 65 साल की दादी की कहानी है जिसकी 9 साल की पोती का रेप होता है। लड़की घायल अवस्था में घर पहुंचती है और ये बात अपनी दादी को बताती है। घटना को लेकर अज्जी पुलिस में रिपोर्ट लिखाने जाती है, लेकिन पुलिस और सिस्टम उस लड़की को न्याय दिलाने के लिए कुछ नहीं करते हैं। क्योंकि रेप करने वाला शख्स वहीं के एक लोकल नेता का अय्याश बेटा है। कहानी में कैसे अज्जी (दादी) खुद अपनी पोती का बदला लेती हैं इसे देखने के लिए आपको जरूर से जरूर सिनेमाघरों की ओर रुख करना चाहिए।

फिल्म की पटकथा ऐसी है जो आपको झकझोर कर रख देगी। कहानी की सच्चाई आपको डराती है और रातों की नींद उड़ा सकती है। फिल्म का निर्देशन इसका मजबूत पक्ष है और मखीजा ने इसे बहुत इमानदारी से निभाया है। फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है वैसे वैसे समाज की पोल खोलती जाती है। फिल्म का निर्देशन शानदार है। सिनेमेटोग्राफी के लिहाज से भी फिल्म का कोई मुकाबला नहीं है, सिनेमेटोग्राफी इसे इतनी हिंसक और मर्मस्पर्शी बनाती है। सिनेमेटोग्राफर जिश्नु भट्टाचार्जी की इसके लिए तारीफ करनी चाहिए। 

अभिनय और संगीत

फिल्म में अज्जी का किरदार सुषमा देशपांडे ने निभाया है। उनकी एक्टिंग हकीकत के बहुत ज्यादा करीब लगती है। अभिषेक बैनर्जी की एक्टिंग कुछ खास नहीं है। वहीं सुधीर पांडे का रोल भी ठीक ठाक है। मंदा के किरदार में शरवणी सूर्यवंशी ने बेहतरीन अभिनय किया है। फिल्म में सादिया सिद्दीकी, मनुज शर्मा, किरण खोजे और स्मिता तांबे भी जरूरी किरदारो में हैं। फिल्म में हर किरदार ने एक दम सटीक एक्टिंग की है। फिल्म का म्यूजिक अच्छा है और इसके साथ ही फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर काफी ज्यादा अच्छा है।

क्यों देंखे

फिल्म देखने की बात की जाए तो हम आपको बस यही सलाह देंगे कि यह फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए। अगर आपको ऐसी फिल्में पसंद है जो जमीनी हकीकत दिखाती है तो आप एक बार जरूर देख सकते हैं फिल्म अज्जी आपको संजय दत्त की "भूमि" और "पिता" और बच्चियों के रेप पर बनी बाकी फिल्मों से अलग हटकर लगेगी। लेकिन अगर आप मसाला फिल्म्स पसंद करते हैं तो ये फिल्म आपके लिए बिलकुल भी नहीं है। फिल्म ‘अज्जी’ एक डार्क सिनेमा है जहां कई जगह ऐसा लगता है कि फिल्म को छोड़ कर बाहर निकल जाएं।

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