बाजीराव का हाॅन्टेड किला, यहां आज भी सुनाई देती है डरावनी चीख

बाजीराव का हाॅन्टेड किला, यहां आज भी सुनाई देती है डरावनी चीख

Bhaskar Hindi
Update: 2017-07-19 09:09 GMT
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डिजिटल डेस्क, पुणे। शनिवार वाडा फोर्ट (Shaniwar Wada Fort pune), ये नाम या तो आपने इतिहास के पन्नों में पढ़ा होगा या फिर किसी विशेषज्ञ के मुंह से इसकी कहानियां सुनीं होंगी। इसका जिक्र बीते दिनों आई फिल्म बाजीराव मस्तानी में भी किया गया था। लेकिन किले के बारे में कुछ ऐसी बातें हम आपको बताने जा रहे हैं, जो शायद ही आपने पहले कभी सुनीं होंगीं। 

इस किले की नींव शनिवार के दिन रखी गई थी, जिसकी वजह से इसका नाम भी शनिवार वाडा पड़ा। बताया जाता है कि इस किले के अंदर 30 अगस्त की रात कुछ ऐसा घटा जिसने इतिहास के सुनहरे अक्षरों में काली स्याही उड़ेल दी। ये साल था 1773। शनिवार वाडा फोर्ट का निर्माण मराठा साम्राज्य को बुलंद‌ियों पर ले जाने वाले बाजीराव पेशवा ने 1746 ई. में एक महल का न‌िर्माण करवाया था।

18 साल के नारायण राव की षड्यंत्रपूर्वक हत्या कर दी गई थी। कहते हैं कि अपनी हत्या से पहले नारायण राव ने खतरा भांप लिया और अपने काका को आवाज लगाई। उन्होंने "काका माला बचावा" (काका मुझे बचा लो...) कहते हुए तेजी से दौड़ लगाई। लेकिन काका तक पहुंचने से पहले ही उन्हें मार गिराया गया।

बताया जाता है कि नारायण राव की आत्मा तब से किले में ही भटक रही है। वे करीब 4 सदी से खुद को बचाने के यही शब्द दोहरा रहे हैं जो किले में गूंजते हैं। इस वजह से भी इस किले को भारत के मोस्ट हांटेड प्लेस में शामिल किया जाता है।

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