भारतीय सिनेमा के 'युगपुरुष' पृथ्वीराज कपूर के अनसुने किस्से...

भारतीय सिनेमा के 'युगपुरुष' पृथ्वीराज कपूर के अनसुने किस्से...

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-03 09:09 GMT
भारतीय सिनेमा के 'युगपुरुष' पृथ्वीराज कपूर के अनसुने किस्से...

डिजिटल डेस्क, मुंबई। हिंदी सिनेमा जगत में मील का पत्थर कहे जाने वाले कड़क और रौबदार आवाज के मालिक पृथ्वीराज कपूर का आज के ही दिन 3 नवंबर को 1906 में जन्म हुआ था। उन्हें भारतीय सिनेमा का "युगपुरुष" भी कहा जाता है। पीढ़ियों से पृथ्वीराज कपूर का खानदान बॉलीवुड में अपनी एक खास पहचान बनाए हुए हैं। सिने जगत में इन्हें "पापाजी" के नाम से भी जाना जाता था। एक जमाना था जब पृथ्वीराज अपने थिएटर के तीन घंटे के शो के बाद झोली फैलाकर खड़े हो जाते थे और देखने वाले उन्हें अभिनय से खुश होकर कुछ पैसे डाल दिया करते थे। तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू के विदेश में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम की पेशकश भी उन्होंने यह कहकर टाल दी थी कि थिएटर का काम छोड़कर वह विदेश नहीं जा सकते हैं।

 

पृथ्वीराज कपूर अपने काम के प्रति बेहद समर्पित रहने वाले इंसान थे। पश्चिमी पंजाब के लायलपुर जो अब पाकिस्तान में है। शहर में जन्मे पृथ्वीराज कपूर की शादी 18 वर्ष की उम्र में ही हो गई थी। जिसके बाद वर्ष 1928 में उन्होंने अपनी चाची से कुच रुपयों की मदद ली और सपनों की नगरी कही जाने वाले शहर बंबई आ गए। 


करीब दो सालों तक पृथ्वीराज फिल्मों में काम पाने के लिए संघर्ष करते रहे, धीरे-धीरे वे इम्पीरीयल फिल्म कंपनी से जुड़ गए। इस कंपनी से जुड़ने के बाद उन्होंने फिल्मों में छोटे रोल करना शुरू कर दिया। साल 1929 में पृथ्वीराज को फिल्म "सिनेमा गर्ल" में पहली बार लीड रोल करने का मौका मिला। इसके बाद वर्ष 1931 में प्रदर्शित फिल्म "आलमआरा" में सहायक अभिनेता के रूप में काम करने का मौका मिला। इसके बाद वर्ष 1934 में देवकी बोस की फिल्म "सीता" की सफलता के बाद उन्हें पहचान मिलने लगी। रंजीत मूवी के बैनर तले वर्ष 1940 में फिल्म "पागल" में पृथ्वीराज कपूर ने पहली बार निगेटिव किरदार निभाया। इसके बाद वर्ष 1941 में सोहराब मोदी की फिल्म "सिकंदर" आई, इस फिल्म ने पृथ्वीराज कपूर को कामयाबी के शिखर पर पहुंचा दिया। इसके अलावा पृथ्वीराज कपूर ने "दो धारी तलवार", "शेर ए पंजाब" और "प्रिंस राजकुमार" जैसी नौ मूक फिल्मों में काम किया। 

"पृथ्वी थिएटर" की शुरुआत

 
वर्ष 1944 में पृथ्वीराज कपूर ने अपनी थिएटर कंपनी को एक पहचान देते हुए खुद की थिएटर कंपनी "पृथ्वी थिएटर" शुरू कर दी। बता दें कि 16 सालों में करीब 2662 शो हुए जिनमें पृथ्वीराज कपूर ने मुख्य किरदार निभाया। उनके पिता बसहेश्वरनाथ नाथ कपूर भी एक्टिंग करते थे। "पृथ्वी थिएटर" में पहले शो में कालिदास का मशहूर नाटक "अभिज्ञान शाकुंतलम" पेश किया गया था। साल 1957 में आई फिल्म "पैसा" के दौरान उनका वोकल कोर्ड खराब हो गया था और उनकी आवाज में पहले जैसी दम नहीं रहा जिसके बाद उन्होंने पृथ्वी थिएटर को बंद कर दिया। 


इन फिल्मों को पृथ्वीराज कपूर ने बनाया यादगार 

"विद्यापति" (1937), "सिकंदर" (1941), "दहेज" (1950), "आवारा" (1951), "जिंदगी" (1964), "आसमान महल" (1965), "तीन बहूरानियां" (1968) आदि फिल्में पृथ्वीराज कपूर के जबरदस्त अभिनय से हिंदी सिनेमा में यादगार बन गई। फिल्म "मुगल-ए-आजम" में उन्होंने शहंशाह जलालुद्दीन अकबर के किरदार को हमेशा के लिए यादगार बना दिया। इस फिल्म में उनकी संवाद अदायगी ने पर्दे पर कमाल कर दिया था। डिजिटल डॉल्बी साउंड के जमाने में अगर उनकी आवाज आज हम सुनते तो शायद थिएटर में कोने कोने में उनकी आवाज बस जाती। उनकी फिल्म "आवारा" आज भी उनकी बेस्ट फिल्मों में से एक मानी जाती है।

मृत्यु के बाद दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित हुए

साल 1969 में उन्हें पद्म भूषण अवॉर्ड से नवाजा था। साल 29 मई 1972 में उनका देहांत हो गया, जिसके बाद हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाजा गया।

पृथ्वीराज कपूर की फिल्मोग्राफी 


दो धारी तलवार (1928), सिनेमा गर्ल (1929), आलम आरा (1931), द्रौपदी (1931), राजरानी मीरा (1933), दकू मंसूर (1934), सीता (1934), मंजिल (1936), मिलाप (1937), राष्ट्रपति (1937), विद्यापति (1937), दुश्मन (1939), चिंगारी (1940), सजनी (1940), सिकंदर (1941), ईशारा (1943), महाराथी कर्ण (1944), दहेज (1950), आवारा (1951), आनंद मठ (1952), छत्रपति शिवाजी (1953), मुगल-ए-आज़म (1960), रुस्तम सोहराब (1963), गज़ल (1964), जिंदगी (1964), जनवार (1965), सिकंदर-ए-आज़म (1965), दकू मंगल सिंह (1966), किशोर बहुरानी (1968), नानक नाम जहां है (1969), हीर रांझा (1970), सकशातकर - (कन्नड़), (1971), कल आज और कल (1971)

 
पृथ्वीराज कपूर की फैमिली चेन

  
पृथ्वीराज कपूर के तीन बच्चे हैं, राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर। हिंदी सिनेमा में तीनों ने सफलता हासिल की। इसके बाद राज कपूर ने कृष्णा कपूर से शादी की और उनको तीन बच्चे हुए, ऋषि कपूर, रणधीर कपूर और राजीव कपूर। सबसे ज्यादा हिट ऋषि कपूर रहे। ऋषि कपूर के बेटे रणबीर कपूर इन दिनों अपनी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं रणधीर कपूर ने बबीता से शादी की और उनकी दो बेटियां हैं, करिश्मा कपूर और करीना कपूर। दोनों ही बॉलीवुड में सफल हैं। हालांकि करिश्मा इन दिनों फिल्मों से किनारा कर चुकी हैं। 
 

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