Jagjit Singh Birthday: चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए...

Jagjit Singh Birthday: चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए...

Bhaskar Hindi
Update: 2019-02-08 05:02 GMT
Jagjit Singh Birthday: चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए...

डिजिटल डेस्क, मुम्बई। जब भी गज़लों के बारे में बात होती है तो ​जुबां पर एक ​ही नाम आता है जगजीत सिंह! उन्होंने ही आम लोगों को गज़लों से रूबरू करवाया था। वे गज़लों के ऐसे बादशाह हैं, जिन्हें गज़लों की जुबां कहना गलत नहीं होगा। 8 फरवरी 1941 को जन्मे जगजीत सिंह ने कई फिल्मों में संगीत भी दिया, लेकिन उन्हें संगीत रास नहीं आया और वे गज़ल गाने में ही मशगूल हो गए। उन्होंने सैकड़ो कंसर्ट में लाइव परफॉरमेंस भी दी और लोगों के दिलों की धकड़न बन गए। 

जगजीत दादा ने गज़लों को एक अलग ही रूप दिया। उन्होंने गज़लों को इस अंदाज में गाया कि हर कोई उनकी गज़लों का दीवाना हो गया। उनकी गज़लों को लोगों ने तो बहुत पसंद किया पर गज़ल का ज्ञान रखने वाले लोगों ने उन पर आरोप लगाए कि उन्होंने इसके शास्त्रीय रूप के साथ छेड़छाड़ की है। लेकिन इन आरोपो से परे और उन्हें खारिज करते हुए, जगजीत दादा ने कई गज़लें गाईं, वो कागज की कस्ती, तुम इतना जो मुस्करा रहे हो, आहिस्ता-आहिस्ता, होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो... जैसी कई खूबसूरत गजलों को जगजीत दादा ने गाया, जो हमारे लिए अनमोल उपहार है।  

ऐसा रहा जगजीत सिंह का बचपन
राजस्थान के बीकानेर में, 8 फरवरी, 1941 को जन्में जगजीत सिंह के बचपन का नाम जगजीवन सिंह था। उनकी पढ़ाई सरकारी स्कूल और खालसा कॉलेज से हुई है। उनके पिता चाहते थे कि वे इंजीनियर की पढ़ाई करें और एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करें। लेकिन कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो ज्वाइंन किया। साथ ही एक सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर के रूप में काम शुरू कर दिया। इन सब के दौरान भी उनहोंने अपनी पढ़ाई से ब्रेक नहीं लिया और हरियाणा की कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई भी की। जगजीत सिंह ने संगीत की शिक्षा छगनलाल मिश्रा और उस्ताद जमाल खान से ली। 

ऐसे गए मुम्बई
संगीत के लिए पागल जगजीत सिंह घरवालों को बिना बताए ही 1965 में मुम्बई चले गए ​थे। मुम्बई में स्ट्रगल के दौरान उन्होंने 200 रूपये में भी गाना गाया था। स्ट्रगल के दौरान ​ही उनकी मुलाकात बंगाली महिला चित्रा दत्ता से हुई। यही वह महिला थी, जिसके प्यार में जगजीत सिंह दिवाने हुए और उन्होंने 1969 में​ चित्रा से शादी कर ली। शादी के बाद दोनों का एक एल्बम "The Unforgettable"​​ रिलीज हु​आ, जिसे दर्शकों द्वारा बहुत पसंद किया गया। इस एल्बम के हिट होने के बाद दोनों ने साथ में कई सारे हिट एल्बम गाए और लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई। जगजीत सिंह के कॅरियर को असली मुकाम तब मिला। जब उन्होंने 1980 में "वो कागज की कश्ती" एल्बम रिलीज किया। यह एल्बम उस समय का बेस्ट सेलिंग एल्बम बन गया। यही वह एल्बम था जिसनें ​जगजीत सिंह को स्टार बना दिया और उन्हें गज़ल किंग बना दिया। उनकी पॉपुलेरटीटी को देखते हुए उन्हें फिल्मों में भी काम मिलना शुरू हो गया। फिल्मों में भी जगजीत दादा ने कई गजलें गाईं, जिनमें "अर्थ", "जिस्म", "तुम बिन", "प्रेम गीत", "जॉगर्स पार्क" शामिल है।

एक घटना ने तोड़ दिया था उन्हें
जगजीत सिंह के जीवन में कामयाबी की रोशनी के बाद घना अंधेरा तब आया, जब 18 साल की उम्र में ही उनके बेटे की मौत हो गई। इस हादसे ने उनके जीवन को बदल कर ​रख दिया। इस हादसे के बाद जगजीत सिंह की पत्नी चित्रा ने तो गाना ही छोड़ दिया था। 

जब दादा ने दुनिया को कहा अलविदा
इनकी गज़लों के कारण इन्हें कई अवॉर्ड से नवाजा गया। 2003 में जगजीत सिंह को भारत सरकार द्वारा "पद्म भूषण" दिया गया। 2011 में जगजीत को गुलाम अली के साथ परफॉर्म करने का मौका मिला। लेकिन cerebral hemorrhage की उनका स्वास्थ खराब हो गया और उन्हें लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाया गया। बीमारी की वजह से वे कोमा में चले गए और 10 अक्टूबर 2011 में उनका निधन हो गया और इस तरह दुनिया के एक खूबसूरत गज़लकार ने, दुनिया को अलविदा कह दिया। 

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