Movie Review: मर्डर मिस्ट्री पर बुनी हुई कन्फ्यूजन भरी कहानी है वोदका डायरीज

Movie Review: मर्डर मिस्ट्री पर बुनी हुई कन्फ्यूजन भरी कहानी है वोदका डायरीज

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-19 07:31 GMT
Movie Review: मर्डर मिस्ट्री पर बुनी हुई कन्फ्यूजन भरी कहानी है वोदका डायरीज

फिल्म का नाम : वोदका डायरीज
डायरेक्टर: कुशल श्रीवास्तव
स्टार कास्ट: के के मेनन, मंदिरा बेदी, शारिब हाशमी, रायमा सेन
अवधि: 1 घंटा 57 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 2.0 स्टार

निर्देशक परिचय

वोदका डायरीज का निर्देशन कुशल श्रीवास्तव ने किया है, जिन्होंने विज्ञापन की दुनिया में बहुत सारा काम किया है। "वोदका डायरीज" से फिल्म उन्होंने फिल्म निर्देशन में अपना डेब्यू किया है। इस फिल्म का ट्रेलर काफी दिलचस्प रहा है। आइए समीक्षा के जरिए जानने की कोशिश करते हैं कि फिल्म कहां तक दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच पाने में कामयाब होगी। 

कहानी

फिल्म की कहानी मनाली (हिमाचल प्रदेश) में बेस्ड है, जहां एसीपी अश्विनी दीक्षित (केके मेनन) अपनी पत्नी शिखा दीक्षित(मंदिरा बेदी) के साथ रहता है। अश्विनी के मातहत अंकित (शारिब हाशमी) काम करता है। फिल्म "वोदका डायरीज" एक ऐसे ही पुलिस वाले की कहानी है जो एक केस को सुलझाते-सुलझाते खुद उसमें बुरी तरह उलझ जाता है। मनाली के वोदका डायरीज क्लब में एक ही रात में एक के बाद एक कई खून होते हैं, जिन्हें सुलझाने की जिम्मेदारी एसीपी अश्विनी दीक्षित पर आती है। इसी बीच उसकी खुद की पत्नी गायब हो जाती है। अश्विनी की पत्नी कविता लिखती हैं। कई बार अश्विनी को अपनी पत्नी पर हमला होने के भी सपने आते थे लेकिन उसके गायब होने से वह काफी परेशान हो जाते हैं। इसी बीच अश्विनी एक रहस्यमय लड़की रोशनी बनर्जी (राइमा सेन) से मिलता हैं जिस पर उसे शक होता है। फिल्म एक ऐसे मोड़ पर खत्म होती है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। क़त्ल के पीछे का सच जानने के लिए अश्विनी अपनी टीम के साथ शिनाख्त में लग जाता है। कहानी में बहुत से अलग किरदारों की एंट्री भी होती हैं, अब क्या अश्विनी सच्चाई का पता लगा पता है, क्या वह अपनी पत्नी का पता लगा पाता है, यह देखने के लिए आपको सिनेमाघरों का रूख करना होगा। 

पटकथा और निर्देशन

फिल्म की कहानी आपको शुरू से आखिर तक बांधे रखती है। हालांकि फ़्लैश बैक और प्रेजेंट डे बार-बार आपको कन्फ्यूज करते हैं कि आखिरकार हो क्या रहा है। कहानी मर्डर के प्लॉट पर लिखी गई है। फिल्म का फर्स्ट हाफ ठीक-ठाक है, लेकिन जैसे ही क्लाइमेक्स आता है, आपके जेहन में एक बात चलती है कि इससे बेहतर एंडिंग की जा सकती थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने इस फिल्म को मनाली में सिर्फ 20 दिन में ही शूट कर लिया, जो जल्दबाजी उन्होंने शूटिंग में दिखाई वो फिल्म को देखते वक्त भी नज़र आती है, किरदारों को ज्यादा समय नहीं दिया गया है। 

अभिनय और संगीत

फिल्म में केके मेनन ही मजबूत किरदार हैं, उनका किरदार निभाना आसान काम नहीं है। केके मेनन हमेशा की तरह की शानदार लगे हैं। उन्होंने बेहतरीन काम किया है। खासकर एसीपी के रोल में वह जंचे हैं।मंदिरा बेदी ने भी अच्छा काम किया है। शारिब हाशमी, रायमा सेन के साथ-साथ बाकी किरदारों की कास्टिंग भी अच्छी है। फिल्म का कोई गीत भी रिलीज से पहले हिट नहीं हो पाया है। 

क्यों देखें

फिल्म में केके मेनन का अभिनय काफी दिलचस्प है, यदि आप उनके फैन हैं तो फिल्म देखने जा सकते हैं। वहीं मंदिरा बेदी लंबे समय बाद किसी फिल्म में नजर आ रही हैं। फिल्म के लोकेशन कमाल के हैं और सिनेमेटोग्राफी अच्छी है।

बॉक्स ऑफिस

फिल्म का बजट महज 5 करोड़ बताया जा रहा है, इसे 500 से ज्यादा स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया है, फिल्म को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है फिल्म शायद ही अपनी लागत जितना कमा पाए।

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