Padmavati Controversy: 'वोट बैंक की राजनीति का शिकार हुई फिल्म पद्मावती'
Padmavati Controversy: 'वोट बैंक की राजनीति का शिकार हुई फिल्म पद्मावती'
डिजिटल डेस्क, मुंबई। फिल्म सेंसर बोर्ड की तरफ से निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म "पद्मावती" की रिलीज का रास्ता अब साफ होता दिख रहा है। फिल्म को 26 कट के साथ और नाम बदलकर रिलीज करने पर सहमति बन गई है। फिल्म अगले साल की शुरुआत में रिलीज हो सकती है। फिल्म का नाम पद्मावत रख रिलीज करने पर सहमति बनी है। इस पूरे मसले पर अब सेंसर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने अपने विचार प्रस्तुत किए हैं।
निहलानी ने कहा कि "अब माहौल शांत है, मुझे लगता है कि ये अब इसलिए हुआ है क्योंकि अब फिल्म को रिलीज करने का सही समय है।" बता दें कि पहलाज निहलानी बतौर सेंसर बोर्ड चीफ अपने कार्यकाल के दौरान खुद कई तरह के विवादों में फंसते रहे हैं। पद्मावती पर आए सेंसर के फैसले को लेकर उनका कहना है कि सेंसर बोर्ड पर हर तरफ से दबाव था, लेकिन उन्हें इस फिल्म को देखने में देर नहीं करनी चाहिए थी। अगर उन्होंने देर की है, तो ये एक बड़ा सवाल है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।
निहलानी का कहना है कि हिंदी सिनेमा को राजनीति की वजह से काफी कुछ झेलना पड़ता है, फिल्म को रोके जाने के पीछे राजनीतिक कारण थे। फिल्म निर्माताओं को कट की वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। फिल्म को लेकर वोट बैंक की राजनीति की गई है। सीबीएफसी ने फिल्म को देखने में देर की, चुनाव (हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनाव) हो जाने के बाद फिल्म को देखा गया। उन्होंने कहा कि बोर्ड के चेयरमैन पर मिनिस्ट्री की तरफ से दबाव डाला गया।
फिलहाल सेंसर बोर्ड की प्रक्रिया चल रही है, नए साल में ही पूरी जानकारी निकलकर सामने आ सकती है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने फिल्म के साथ एक डिस्क्लेमर लगाने के लिए भी आदेश दिए हैं। इस फिल्म का किसी ऐतिहासिक किरदार या पृष्ठभूमि से कोई लेना-देना नहीं है। बताया जा रहा है कि सेंसर बोर्ड की ओर से बनाई गई समीक्षा समिति के दिशा-निर्देशों पर ये फैसला लिया गया है।