यादें: जाने से पहले, एक आखिरी बार मिलना क्यों जरूरी नहीं होता? ये हैं ऋषि कपूर के बेस्ट डायलॉग

यादें: जाने से पहले, एक आखिरी बार मिलना क्यों जरूरी नहीं होता? ये हैं ऋषि कपूर के बेस्ट डायलॉग

Manmohan Prajapati
Update: 2020-04-30 05:42 GMT
यादें: जाने से पहले, एक आखिरी बार मिलना क्यों जरूरी नहीं होता? ये हैं ऋषि कपूर के बेस्ट डायलॉग

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉलीवुड के पहले चॉकलेटी बॉय के तौर पर पहचान बनाने वाले दिग्गज ऐक्टर ऋषि कपूर ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया। बीती रात खराब तबीयत के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन की खबर महानायक अमिताभ बच्चन ने अपने ट्वीटर हैंडल से दी। उनका निधन हिंदी सिनेमा के लिए गहरा सदमा है। हालांकि आज ऋषि भले हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन वे अपने फैंस के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे। 

बता दें कि उन्होंने बॉलीवुड में अपनी एक अलग जगह बनाई है, उन्हें रोमांटिक किरदारों का सरताज भी कहा जाता है। ऋषि कपूर ने कर्ज", "बॉबी", "प्रेम रोग" और "मूल्क जैसी कई हिट और सुपरहिट फिल्में दी हैं। उन्होंने कई तरह के किरदार निभाए। जिसमें सीरियस से लेकर कॉमेडी भरे किरदार भी शमिल रहे। इन किरदारों में उनके कई डायलॉग लोगों की जुबां पर होते हैं। आइए जानते हैं उनके बेस्ट डायलॉग्स के बारे में...

बॉलीवुड एक्टर ऋषि कपूर का 67 वर्ष की उम्र में निधन, कैंसर से थे पीड़ित

फिल्म: लव आजकल 
जाने से पहले, एक आखिरी बार मिलना क्यों जरूरी नहीं होता?

फिल्म: प्रेम रोग
क्यों कोई एक, सिर्फ एक ऐसा होता है..जो इतना प्यारा लगने लगता है कि अगर उसके लिए जान भी देनी पड़े तो हंसते हंसते दी जा सकती है...

फिल्म: लैला मजनू
दुनिया के सितम याद, ना अपनी ही वफा याद, अब कुछ भी नहीं मुझको मोहब्बत के शिवा याद...

फिल्म: जब तक है जान 
हर इश्क का एक वक्त होता है, वो हमारा वक्त नहीं था, पर इसका ये मतलब नहीं कि वो इश्क नहीं था...

फिल्म: फना 
हम आज जो फैसला करते हैं, वही हमारे कल का फैसला करेगा...

फिल्म: "डी डे" 
ये मुल्क तो मेरी मां है और मुंबई शहर मेरी माशूका" भी लोगों के दिल और दिमाग पर छा चुका है...

फिल्म: जब तक है जान
हर इश्क का एक वक्त होता है, वो हमारा वक्त नहीं था...पर इसका ये मतलब नहीं कि वो इश्क नहीं था...

फिल्म: फना
शराब पीने दे मस्जिद में बैठकर गालिब, या वो जगह दिखा दे जहां खुदा ना हो...

फिल्म: दीवाना
मोहब्बत रीत रिवाज नहीं मानती और ना ही वो लफ्जों की मोहताज होती है...

फिल्म: सनम रे
जब दो इंसान एक दूसरे की रूह को छू लें, उसे प्यार कहते हैं...

डी- डे
ये मुल्क तो मेरी मां है और मुंबई मेरी माशुका...

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