हैप्पी बर्थडे सुभाष घई: इन फिल्मों ने घई को बना दिया बॉलीवुड का शोमैन

हैप्पी बर्थडे सुभाष घई: इन फिल्मों ने घई को बना दिया बॉलीवुड का शोमैन

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-23 17:51 GMT
हैप्पी बर्थडे सुभाष घई: इन फिल्मों ने घई को बना दिया बॉलीवुड का शोमैन
हाईलाइट
  • घई की फिल्म इकबाल के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुका है।
  • घई ने कालीचरण (1976)
  • कर्ज़ (1980) जैसी कुछ बेहतरीन फिल्मों को डायरेक्ट किया है।
  • सुभाष घई इस साल 24 जनवरी को अपना 74वां (1945) बर्थडे मनाएंगे।

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉलीवुड के दिग्गज डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और स्क्रीनप्ले राइटर्स में शुमार सुभाष घई इस साल 24 जनवरी को अपना 74वां (1945) बर्थडे मनाएंगे। घई ने कालीचरण (1976), विश्वनाथ (1978), मेरी (1976), कर्ज़ (1980), हीरो (1983), मेरी जंग (1985), कर्मा (1986), राम लखन (1989), सौदागर (1991), खलनायक (1993), परदेस (1997), ताल (1999), और ब्लैक एंड व्हाइट (2008) जैसी कुछ बेहतरीन फिल्मों को डायरेक्ट किया है। घई ने 1982 में मुक्ता आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की थी। 2000 में यह एक पब्लिक कंपनी बन गई। वहीं सुभाष घई को इसका एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाया गया। 2006 में घई को सोशल प्रॉब्लम पर बनी फिल्म इकबाल के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला चुका है। घई की फिल्म को लेकर डेडिकेशन इसी बात से पता चलता है कि उसी वर्ष उन्होंने मुंबई में व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल फिल्म और मीडिया संस्थान की स्थापना भी की थी। इसके अलावा घई 2015 में भारतीय सिनेमा में आउटस्टैंडिंग कॉन्ट्रिब्यूशन के लिए IIFA अवार्ड भी मिल चुका है।

सुभाष घई का जन्म नागपुर में हुआ था। उनके पिता दिल्ली में एक डेन्टिस्ट थे। सुभाष ने अपनी हाईर सेकेन्डरी की पढ़ाई दिल्ली से पूरी की। इसके बाद वह रोहतक, हरियाणा से कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया। 1963 में वह फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में एडमीशन लेकर पुणे चले गए। एक इंटरव्यू के दौरान घई ने कहा था, FTII से पास होने के बाद मैं बॉम्बे आ गया, लेकिन किसी भी स्टूडियो ने मुझे एंट्री नहीं दी। ऐसा इसलिए क्योंकि वह इन सभी चीजों से अंजान थे। इसके बाद मैंने "डेल कार्नेगी की हाउ टू सेल्फ हेल्प" बुक्स पढ़ीं और फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री करने के तरीकों का इस्तेमाल किया। इसके बाद मैंने एक यूनाइटेड प्रोड्यूसर फिल्मफेयर टैलेंट कॉन्टेस्ट में भाग लिया। इस कॉन्टेस्ट में 5,000 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें से केवल तीन लोग चुने गए। मेरे अलावा राजेश खन्ना और धीरज कुमार इसमें शामिल हैं। 

घई ने हिंदी सिनेमा में अपने करियर की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में की थी। उन्होंने तकदीर (1967) और आराधना (1971) जैसी फिल्मों में छोटे रोल किए। इसके अलावा 1970 में उमंग और गुमराह (1976) में उन्होंने लीड रोल निभाया था। 1976 में शत्रुघ्न सिन्हा की सिफारिश पर उन्हें अपनी पहली फिल्म कालीचरण डायरेक्ट करने को मिली। 1980 और 1990 के दशक में दिलीप कुमार के साथ उनकी जोड़ी काफी सफल रही। इस दौरान उन्होंने विधाता (1982), कर्मा (1986) और सौदागर (1991) जैसी सुपरहिट फिल्मों को डायरेक्ट किया। इसके तुरंत बाद उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट डायरेक्टर का अवार्ड भी मिला था। 1983 में घई जैकी श्रॉफ को लॉन्च किया। वहीं 1985 में घई ने मेरी जंग नाम की फिल्म में अनिल कपूर को मौका देकर उनके करियर को नई ऊचाईंयों तक पहुंचा दिया। इसके बाद वह अपनी फिल्मों में केवल जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर को मौका देने लगे। इस दौरान उन्होंने कर्मा (1986), राम लखन (1989) और त्रिमूर्ति (1995), जैसी कुछ बेहद ही सुपरहिट मूवीज दीं। संजय दत्त, माधुरी दीक्षित और श्रॉफ जैसे एक्टरों से सुसज्जित फिल्म खलनायाक जब 1993 में रिलीज हुई, तो उसने कामयाबी के कई नए आयाम लिख दिए। "नायक नहीं खलनायक हूं मैं" और "चोली के पीछे क्या" जैसे गाने आज भी चौक चौराहों पर बजते हुए मिल जाते हैं। 

घई ने 1997 में परदेस को डायरेक्ट किया। इसमें फिल्म में शाहरुख खान, महिमा चौधरी और अपूर्व अग्निहोत्री ने एक्टिंग की थी। 1999 में उन्होंने ताल का निर्देशन किया, जिसमें अक्षय खन्ना, ऐश्वर्या राय और अनिल कपूर जैसे एक्टर्स शामिल थे। परदेस और ताल दोनों इंटरनेशनल लेवल पर रिलीज़ हुईं और बॉक्स ऑफिस पर सुपर-हिट रहीं। जो फिल्में फ्लॉप रही, उसमें यादें (2001) और किसना (2005) शामिल हैं। इसके बाद उन्होंने डायरेक्शन से ब्रेक लेकर प्रोडक्शन कंपनी में एंट्री ली। इस दौरान उन्होंने ऐतराज़ (2004), इक़बाल (2005), 36 चाइना टाउन (2006) और अपना सपना मनी मनी (2006) जैसी फिल्मों प्रोड्यूस किया। 2006 में, उन्होंने मुंबई में अपना स्वयं का फिल्म संस्थान व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल स्थापित किया। घई ने 2016 तक कुल 16 फिल्मों की स्टोरी राइटिंग और डायरेक्शन की है।  स्लमडॉग मिलेनीयर फिल्म के गाने जय हो के लिए ऑस्कर जीत चुके एआर रहमान बताते हैं कि घई ने ही उन्हें अपने गाने में "जय हो" शब्द का इस्तेमाल करने को कहा था। 

नेशनल फिल्म अवार्ड्स 2006: सर्वश्रेष्ठ फिल्म का अवार्ड: इकबाल 
फिल्मफेयर अवार्ड्स 1998: सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले: परदेस
IIFA अवार्ड्स 2015: भारतीय सिनेमा में आउटस्टैंडिंग कॉन्ट्रिब्यूशन के लिए IIFA अवार्ड
अन्य पुरस्कार 2013: स्किल ट्री एजुकेशन इवेंजलिस्ट ऑफ इंडिया

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