सुपरहिट फिल्म मैंने प्यार किया के म्यूजिक डायरेक्टर रामलक्ष्मण नहीं रहे

सुपरहिट फिल्म मैंने प्यार किया के म्यूजिक डायरेक्टर रामलक्ष्मण नहीं रहे

Anita Peddulwar
Update: 2021-05-22 09:36 GMT
सुपरहिट फिल्म मैंने प्यार किया के म्यूजिक डायरेक्टर रामलक्ष्मण नहीं रहे
हाईलाइट
  • नागपुर में ली अंतिम सांस
  • गायक कादर ने जताया शोक

डिजिटल डेस्क, नागपुर।    ‘‘मैंने प्यार किया’, ‘हम आपके हैं कौन’ जैसी सुपरहिट फिल्मों  में म्यूजिक देने वाले प्रसिद्ध संगीतकार रामलक्ष्मण का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया । वे 78 वर्ष के थे। पिछले काफी समय से वे बीमार चल रहे थे।  उन्होंने अपने घर पर आखिरी सांस ली। नागपुर में उनका अंतिम संस्कार किया गया।  पिछले कुछ समय से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी इसी के चलते संगीतकार रामलक्ष्मण मुंबई से में अपने बेटे के पास शिफ्ट हो गए थे। 

कादर ने रामलक्ष्मण के फिल्मी सफर की दी जानकारी
संगीतकार राम  लक्ष्मण के बचपन के दोस्त पार्श्व गायक एम. ए. कादर ने बताया कि इनका असली नाम विजय पाटील था, रामलक्ष्मण उनका फिल्मी नाम है। पहले वे ‘लक्ष्मण’ के नाम से जाने जाते थे। सूरज बड़जात्या के साथ मिलकर रामलक्ष्मण ने कई हिट फिल्में दी। । 1988 में फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ से उन्हें बड़ा ब्रेक मिला। हम दोनों ने मिलकर नागपुर में कई स्टेज शो किए थे।  रामलक्ष्मण अपना करियर म्यूजिक में करना था। जिसके बाद वह मुंबई चले गए। कादर ने बताया कि शुरुआती दौर में उन्होंने इंडस्ट्री में काफी स्ट्रगल किया।

दादा कोंडके ने दिया था मौका
अभिनेता और फिल्म निर्माता दादा कोंडके साहब ने उनकी कला को पहचाना और उन्होंने अपनी फिल्म ‘पांडू हवालदार’ में काम करने का मौका दिया । कुछ दिनों तक मराठी फिल्मों में काम करने के बाद  रामलक्ष्मण ने हिंदी फिल्मों के लिए भी म्यूजिक डायरेक्टर के तौर पर काम करना शुरू किया। हिंदी फिल्मों में रामलक्ष्मण के म्यूजिक सफर के बारे में बात करते हुए एम. ए. कादर ने आगे बताया कि ‘उन्होंने अपने करियर में मराठी के अलावा कई हिंदी फिल्मों के लिए भी संगीत दिया लेकिन सलमान खान की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’, ‘पत्थर के फूल’, 100 डेज’, ‘प्रेम शक्ति’, ‘मेघा’, ‘तराना’, ‘हम आपके हैं कौन’,‘हम साथ साथ है’ जैसी फिल्मों ने उन्हें  शिखर पर पहुंचाया। उनके पीछे इस समय उनकी पत्नी शोभा पाटील, उनका बेटा अमर रामलक्ष्मण, दो बेटियां जिनका नाम दीपिका और दर्शोका हैं। रामलक्ष्मण साहब का अंतिम संस्कार नागपुर के श्मशान घाट में किया गया।

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