मन की बात में शामिल डॉक्टर ने उपकरणों की कमी पर चिंता जताई (एक्सक्लूसिव)

मन की बात में शामिल डॉक्टर ने उपकरणों की कमी पर चिंता जताई (एक्सक्लूसिव)

IANS News
Update: 2020-03-29 12:30 GMT
मन की बात में शामिल डॉक्टर ने उपकरणों की कमी पर चिंता जताई (एक्सक्लूसिव)
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  • मन की बात में शामिल डॉक्टर ने उपकरणों की कमी पर चिंता जताई (एक्सक्लूसिव)

नई दिल्ली, 29 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में रविवार को शामिल होने वाले डॉक्टर महेंद्र आत्माराम बोर्से ने कहा कि डॉक्टरों को निजी सुरक्षा उपकरण मुहैया कराई जानी चाहिए, क्योंकि अगर वे अपर्याप्त उपकरणों के साथ कोरोना की जंग लड़ेंगे तो, वे इससे हार जाएंगे।

बोर्से ने इससे पहले आज (रविवार को) डॉक्टर नीतेश गुप्ता के साथ प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम में अपने विचार साझा किए। उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि उनके सभी रोगी इस भयानक महामारी से उबर रहे हैं।

आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में डॉक्टर बोर्से ने सेनिटाइजर, फेस मास्क और अन्य सुरक्षा उपकरणों की कमी पर चिंता जताई और सरकार से इसे डॉक्टरों, नर्सो और मेडिकल स्टॉफ को देने की बात कही।

उन्होंने कहा, निजी सुरक्षा उपकरणों को हमें उपलब्ध कराया जाना चाहिए, क्योंकि हम आगे से एक युद्ध लड़ रहे हैं। अगर आप हमें अपर्याप्त उपकरणों से लड़ने के लिए कहेंगे, तो हम यह जंग हार जाएंगे।

पुणे के दीनानाथ मंगेश्कर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के साथ काम करने वाले बोर्से ने कहा कि इस महामारी के चलते शहर में 80 से ज्यादा नर्सो ने इस्तीफा दे दिया है।

उन्होंने कहा, नर्सो के पास जीने के लिए कोई जगह नहीं है। वे लोग बंद सूटकेश के साथ आते हैं और दिन के अंत में उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं होती। अस्पताल को किसी भी तरह इस समय उन्हें हॉस्टल मुहैया कराया जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि पुणे में डॉक्टर और नर्स को उनके किराये के घर से जाने के लिए कह दिया गया है।

बोर्स ने कहा, लोग, जो खुद नियमों का पालन नहीं करते हैं, वे सिस्टर्स और डॉक्टरों को अपने घरों से जाने के लिए कह रहे हैं। थाली पीटने और ताली बजाने से मेडिकल स्टॉफ को कोई सहायता नहीं मिलने वाली है।

बोर्से ने कहा कि सरकार द्वारा लागू किया गया 21 दिन का लॉकडाउन काफी होगा, अगर लोग कड़ाई से इसका पालन करेंगे और घर में रहेंगे।

बोर्स ने कहा, जिस तरह से लोग सड़कों पर घूम रहे हैं, मुझे नहीं लगता कि लॉकडाउन फलदायी होगा। इसका गंभीरता से पालन किया जाना चाहिए।

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