Covid-19: जानिए कोरोनावायरस कैसे पहुंचता है फेफड़ों तक? सांस रुकती है और हो जाती है मौत

Covid-19: जानिए कोरोनावायरस कैसे पहुंचता है फेफड़ों तक? सांस रुकती है और हो जाती है मौत

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-08 03:52 GMT
Covid-19: जानिए कोरोनावायरस कैसे पहुंचता है फेफड़ों तक? सांस रुकती है और हो जाती है मौत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोनावायरस से दुनियाभर में 13 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि करीब 80,000 हजार लोगों की मौत हो गई है। ये वायरस इसानों के फेफड़ों पर हमला करता है और निमोनिया मृत्यु का कारण बनता है। कोरोनावायरस से गंभीर रूप से प्रभावित होने वाले लोग ही निमोनिया की स्टेज तक पहुंचते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में व्यक्ति अलग-अलग गंभीरता के लक्षणों को दिखाने के बाद ठीक हो जा जाता है। कई लोगों में तो किसी भी तरह के कोई लक्षण भी दिखाई नहीं देते और वह ठीक हो जाता है। आइए जानते हैं वायरस फेफड़ों को कैसे प्रभावित करता है?

वायरस फेफड़ों को कैसे प्रभावित करता है?
एक बार जब यह वायरस शरीर में प्रवेश करता है और फेफड़ों के बाहर हवा के मार्ग (एयर पैसेज) तक पहुंच जाता है तो बेचैनी होने लगती है। ये पैसेज फेफड़ों से और अंदर हवा का संचालन करते हैं। वायरस एयर पैसेज की लाइनिंग को नुकसान पहुंचाता है। इससे सूजन आ जाती है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता है तो लाइनिंग में नसों को परेशानी होती है। ये संक्रमण और भी ज्यादा गंभीर हो सकता है यदि वायरस एयर पैसेज की लाइनिंग को पार करते हुए पैसेज के अंत में वायु थैली तक पहुंचता है। इस वायु थैली को एल्वियोली कहा जाता है।

ये थैली फेफड़ों में गैस के एक्सचेंज करने का काम करती है। यदि वे संक्रमित हो जाते हैं, तो तरल पदार्थ पैदा होने लगते हैं और ये तरल पदार्थ हवा की थैली को भर देते हैं। इससे निमोनिया हो जाता है। निमोनिया में फेफड़े की ऑक्सीजन को ट्रांसफर करने की क्षमता बिगड़ जाती है, और संक्रमित व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है। जब कोई व्यक्ति पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं ले सकता है और पर्याप्त कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकाल सकता है, तो निमोनिया से मृत्यु हो सकती है।

क्या आपको चिंता करने की जरुरत है?
वायरस से संक्रमित होने के बाद कम गंभीर रोगी कोई लक्षण नहीं दिखाते। कुछ अन्य लोगों को अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट (लाइनिंग पर) में संक्रमण होता है। इससे खांसी होती है, बुखार भी हो सकता है। ये वायरस के पोटेंशियल कैरियर होते हैं। रेस्पिरेटरी फिजिशियन जॉन विल्सन ने कहा कि ज्यादातर मरीजों में फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं। जबकि गंभीर मामले काफी कम होते हैं। ऐसे मामलों में मरीज को निमोनिया हो सकता है। कोरोनावायरस से होने वाले निमोनिया को वायरस निमोनिया कहते हैं। इसका मतलब है कि इसका एंटीबायोटिक दवाओं से इलाज नहीं किया जा सकता है। ऐसे मामलों में शरीर में ऑक्सीजन सर्कुलेशन को सुनिश्चित करने के लिए वेंटिलेटर की आवश्यकता हो सकती है।

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