बिहार चुनाव टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

बिहार चुनाव टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

IANS News
Update: 2020-09-07 20:01 GMT
बिहार चुनाव टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
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नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रवादी जनता पार्टी (राजपा) ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को स्थगित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

याचिका में कोरोनावायरस महामारी और बाढ़ की गंभीर स्थिति का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग को बिहार चुनाव टालने का निर्देश देने की मांग की गई है।

पार्टी ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से मांग की है कि वह चुनाव आयोग को बिहार विधानसभा चुनाव अगले साल मार्च में कराए जाने का निर्देश दें। बिहार में विधानसभा चुनाव इस साल अक्टूबर से नवंबर के बीच होने की संभावना है।

दलील में कहा गया है, भारत के लोगों की सुरक्षा के लिए बेहतर होगा कि मार्च, 2021 के महीने में किसी समय चुनाव आयोजित किया जाए, जब राज्य में स्थिति कुछ सामान्य हो जाए, ताकि नागरिकों को महामारी या बाढ़ से कोई खतरा न हो और वह इसमें भाग ले सकें और अपना वोट सुरक्षित रूप से दे सकें।

याचिकाकर्ता ने कहा कि वर्तमान में दुनिया के अधिकांश देश कोविड-19 महामारी से पीड़ित हैं और भारत इसका लगभग केंद्र बन गया है।

याचिका में कहा गया है, भारत एक विकासशील देश है और इसकी एक विशाल आबादी है। संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों जैसे विकसित देशों की तुलना में हमारे देश की विशाल आबादी और चिकित्सा सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए, फैसला लिया जाए, क्योंकि हर तरह से संभावना है कि यह महामारी आगे और बढ़ेगी। भारत के लोगों का जीवन अभी खतरे में है।

राज्य में बाढ़ की स्थिति का हवाला देते हुए दलील में कहा गया है कि लाखों लोग बेघर हो गए हैं और उनकी आजीविका प्रभावित हुई है। इसलिए, इन असाधारण परिस्थितियों में सरकार को वोट डालने के लिए लोगों पर किसी तरह का भार नहीं डालना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा है कि ऐसे समय में जब महामारी अपने चरम पर है और राज्य में बाढ़ के कारण लोगों की स्थिति दयनीय है, तो इस समय चुनाव कराने से बचना चाहिए।

राजपा अध्यक्ष और अधिवक्ता बिनय कुमार दास के माध्यम से दी गई याचिका में कहा गया है कि बिहार विधानसभा चुनाव स्थगित करने के बारे में निर्वाचन आयोग को 30 जून को एक प्रतिवेदन दिया गया था, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

एकेके/एसजीके

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