तालिबान के गॉडफादर कहे जाने वाले समी-उल हक की रावलपिंडी में हत्या

तालिबान के गॉडफादर कहे जाने वाले समी-उल हक की रावलपिंडी में हत्या

Bhaskar Hindi
Update: 2018-11-02 17:40 GMT
तालिबान के गॉडफादर कहे जाने वाले समी-उल हक की रावलपिंडी में हत्या
हाईलाइट
  • जिस वक्त समी-उल हक हत्या हुई उस वक्त वह अपने रावलपिंडी स्थित घर में थे।
  • पाकिस्तान के पूर्व सिनेटर और तालिबान के 'गॉडफादर' कहे जाने वाले मौलाना समी-उल हक की शुक्रवार को हत्या कर दी गई।
  • हमले में हक का ड्राइवर और बॉडीगार्ड भी घायल हुआ है
  • पाकिस्तान मीडिया ने इसकी पुष्टि की है।

डिजिटल डेस्क, रावलपिंडी। पाकिस्तान के पूर्व सिनेटर और तालिबान के "गॉडफादर" कहे जाने वाले मौलाना समी-उल हक की शुक्रवार को हत्या कर दी गई। जिस वक्त समी-उल हक हत्या हुई उस वक्त वह अपने रावलपिंडी स्थित घर में थे। बता दें कि पाकिस्तान में हक को एक धार्मिक नेता के तौर पर जाना जाता है। समी-उल हक 1985 में पहली बार सिनेटर बने थे, उसके बाद 1991 में उन्हें दोबारा सिनेटर नियुक्त किया गया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हक की हत्या पर शोक व्यक्त किया है।

इमरान खान, वर्तमान में चीन में आधिकारिक यात्रा पर हैं। उन्होंने कहा कि देश ने एक महत्वपूर्ण धार्मिक नेता खो दिया है, जिनकी सेवाओं को हमेशा याद किया जाएगा। इमरान ने इसकी रिपोर्ट मांगी है और दोषी को पकड़ने के लिए जांच के निर्देश दिए हैं।

हक के बेटे हमीदुल ने कहा, उनके पिता बेडरूम में अकेले थे जब उनपर हमला किया गया। वारदात को अंजाम देने के बाद हमलावर वहां से भाग निकलने में कामयाब रहा। हमीदुल ने कहा, हमले के कुछ देर पहले ही उनका सिक्योरिटी गार्ड वहां से गया था, जब वह वापस लौटा तो देखा कि हक की हालत गंभीर है। हमीदुल का कहना है कि उसके पिता को कई बार चाकू गोदा गया था।

पुलिस ने कहा, 81 साल के हक को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। हक के प्रवक्ता यूसुफ शाह ने कहा, न तो हमलावर का अब तक पता चल पाया है और न ही हक पर किए गए हमले का मकसद।

इस घटना के बाद हक के अनुयायियों ने इस्लामाबाद और रावलपिंडी में दुकानों में जमकर तोड़फोड़ की। हलांकि हक के परिवार वालों ने उनके अनुयायियों से शांत रहने की अपील की।

बता दें कि समीउल हक, दारुल उलूम हक्कानिया के प्रमुख थे, जो खैबर पख्तुनख्वा के अकोड़ा खटक कस्बे में काम करती है। इसके साथ ही वे कट्टरपंथी माने जाने वाले राजनीतिक दल जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम-सामी के भी मुखिया भी थे।

 

 

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