Belarus: क्या यूरोप के ‘आखिरी तानाशाह’ की कुर्सी को बचाएगा रूस? जानिए लुकाशेनको के 26 सालों से बेलारूस पर राज करने की पूरी कहानी

Belarus: क्या यूरोप के ‘आखिरी तानाशाह’ की कुर्सी को बचाएगा रूस? जानिए लुकाशेनको के 26 सालों से बेलारूस पर राज करने की पूरी कहानी

Bhaskar Hindi
Update: 2020-08-28 07:05 GMT
Belarus: क्या यूरोप के ‘आखिरी तानाशाह’ की कुर्सी को बचाएगा रूस? जानिए लुकाशेनको के 26 सालों से बेलारूस पर राज करने की पूरी कहानी

डिजिटल डेस्क, मॉस्को। बेलारूस के राष्ट्रपति के खिलाफ लंबे समय से चले रहे विरोध प्रदर्शन के बीच रूस बेलारूस में पुलिस भेज सकता है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वहां विरोध हिंसक हो जाता है तो वो पुलिस भेजने को तैयार है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि फिलहाल इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। उधर, बेलारूस की पुलिस ने गुरुवार को नए सिरे से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान लगभग 180 लोगों को हिरासत में लिया और विपक्ष पर दबाव बढ़ाया। बता दें कि अलेक्जांदेर लुकाशेनको 1994 से बेलारूस के राष्ट्रपति बने हुए हैं। अब लुकाशेनको को हटाने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए हैं और लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं यूरोप के ‘आखिरी तानाशाह’ की पूरी कहानी:

1991 से पहले बेलारूस सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था। सोवियत से अलग होकर 25 अगस्त, 1991 को ये आज़ाद देश बना। इसके बाद बेलारूस ने अपना नया संविधान बनाया। 1994 में आए संविधान में राष्ट्रपति शासन प्रणाली अपनाई गई। इसी व्यवस्था के तहत जून 1994 को बेलारूस में पहला राष्ट्रपति चुनाव हुआ। इस चुनाव में अलेक्जांदेर लुकाशेनको ने जीत हासिल की और वह बेलारूस के पहले राष्ट्रपति बने। उस दिन से लेकर आज तक बेलारूस में छह चुनाव हो चुके हैं, लेकिन चुनाव के निष्पक्ष नहीं होने के कारण लुकाशेनको 26 साल से बेलारूस के राष्ट्रपति बने हुए हैं। इलेक्शन से पहले ही लुकाशेनको की जीत तय होती है। इसी वजह से एलक्जेंडर लुकाशेंको को यूरोप का आखिरी तानाशाह कहा जाता है। लुकाशेंको सत्ता में रहने के लिए संवैधानिक संशोधन और कानूनों में बदलाव करते रहे हैं।

बेलारूस में 9 अगस्त को छठी बार राष्ट्रपति चुनाव हुए। इस चुनाव में अलेक्जेंडर लुकाशेंको के खिलाफ सरहेई तसिख़ानोउस्की खड़ा होना चाहते थे। सरहेई तसिख़ानोउस्की लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता हैं। मगर उन्हें बिना किसी आरोप के जेल में डाल दिया गया। ऐसे में सरहेई तसिख़ानोउस्की की पत्नी स्वेतलाना ने टीचर की अपनी नौकरी छोड़ी और चुनाव में खड़ी हो गईं। उनकी जनसभाओं में रिकॉर्ड भीड़ जमा हुई। लोग कह रहे थे कि अगर निष्पक्ष चुनाव हों, तो लुकाशेनको का कोई चांस नहीं है। मगर पब्लिक जानती थी कि लुकाशेनको धांधली करवाएंगे और हुआ भी यही। लुकाशेंको को 80% वोट मिले हैं, जबकि स्वेतलाना तीखानोव्स्कया को सिर्फ 10%। अलेक्जेंडर लुकाशेंको छठी बार बेलारूस के राष्ट्रपति बने। ऐसे में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनकारी दोबारा चुनाव की मांग कर रहे हैं, लेकिन लुकाशेंको ने कह दिया है कि उनके मरने के बाद ही ऐसा होगा।

उधर, 14 अगस्त को चुनाव नतीजे घोषित किए जाने के कुछ दिन बाद ही स्वेतलाना तीखानोव्स्कया ने बेलारूस छोड़ दिया था। वो लिथुआनिया चली गई। चुनाव से पहले स्वेतलाना ने "खतरे" की वजह से अपने बच्चों को भी लिथुआनिया भेज दिया था। स्वेतलाना ने चुनाव नतीजों के बारे में अधिकारियों से शिकायत करने की कोशिश की थी। हालांकि, उन्हें कई घंटों के लिए हिरासत में ले लिया गया था, जिसके बाद उन्होंने देश छोड़ दिया था। उनके कैंपेन के लोगों का कहना है कि उन्हें जाने के लिए मजबूर किया गया था। इसके बाद स्वेतलाना का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वो प्रदर्शनकारियों से चुनाव के नतीजों को मानने की अपील कर रही थीं। इस वीडियो में वो ऐसा संदेश देती दिखीं कि उन्हें मजबूर किया जा रहा है। कैंपेन के लोगों का मानना था कि शायद उनके बच्चों को धमकाया गया है।

इसके बाद 17 अगस्त को स्वेतलाना ने एक और वीडियो जारी किया और संदेश दिया कि वो बेलारूस का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने अधिकारियों से लुकाशेंको का साथ छोड़ने की भी अपील की थी। स्वेतलाना ने यूरोप से लुकाशेंको के दोबारा चुने जाने को मान्यता न देने की अपील की है।

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