श्रीलंका : रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में साबित किया बहुमत, सिरिसेना पर बढ़ा दबाव

श्रीलंका : रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में साबित किया बहुमत, सिरिसेना पर बढ़ा दबाव

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-12 16:01 GMT
श्रीलंका : रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में साबित किया बहुमत, सिरिसेना पर बढ़ा दबाव
हाईलाइट
  • 225 सदस्यीय संसद में विश्वास प्रस्ताव को पारित करने के पक्ष में रानिल विक्रमसिंघे को 117 वोट मिले।
  • इन नतीजों ने राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना पर विक्रमसिंघे को दोबारा प्रधानमंत्री नियुक्त करने का दबाव बढ़ा दिया है।
  • बुधवार को श्रीलंका के अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में स्पष्ट बहुमत साबित कर दिया।

डिजिटल डेस्क, कोलंबो। श्रीलंका में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच बुधवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में स्पष्ट बहुमत साबित कर दिया। 225 सदस्यीय संसद में विश्वास प्रस्ताव को पारित करने के पक्ष में रानिल विक्रमसिंघे को 117 वोट मिले। इन नतीजों ने राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना पर विक्रमसिंघे को दोबारा प्रधानमंत्री नियुक्त करने का दबाव बढ़ा दिया है।

गौरतलब है कि श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल की शुरुआत 26 अक्टूबर को हुई थी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को हटाकर प्रेसिडेंट मैत्रिपाला सिरिसेना ने पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी। श्रीलंका की राजनीति में अचानक इस तरह का बदलाव इसलिए आया था क्योंकि सिरिसेना की पार्टी यूनाइटेड पीपल्स फ्रीडम (UPFA) ने रानिल विक्रमेसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) के साथ गठबंधन तोड़ लिया था।

इसके बाद मैत्रिपाला सिरिसेना ने 225 सदस्यीय संसद को भंग कर दिया था। संसद भंग होने के बाद श्रीलंका में तयशुदा कार्यक्रम से दो साल पहले 5 जनवरी को चुनाव की घोषणा की गई थी। इसके लिए 19 नवंबर से 26 नवंबर के बीच नामांकन किए जाने थे। विक्रमसिंघे ने संसद भंग करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद संसद भंग के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इतना ही नहीं अदालत ने चुनाव की तैयारियों पर भी रोक लगा दी थी। चीफ जस्टिस नलिन परेरा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया था।

सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद 122 सांसदो की ओर से महिंद्रा राजपक्षे और उनकी सरकार के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने महिंद्रा राजपक्षे के प्रधानमंत्री के रूप में काम करने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट का ये आदेश राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के लिए एक झटके की तरह था क्योंकि उन्होंने ही रानिल विक्रमसिंघे की जगह राजपक्षे को पीएम पद की शपथ दिलाई थी। कोर्ट की इस रोक के बाद राजपक्षे ने कहा था कि वह कोर्ट के इस फैसले से संतुष्ट नहीं है और सुप्रीम कोर्ट में वह इसके खिलाफ अपील करेंगे।

 

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