अगला दलाई लामा चुनने का हक चीन को नहीं, तिब्बती बौद्धों को : अमेरिकी अधिकारी

अगला दलाई लामा चुनने का हक चीन को नहीं, तिब्बती बौद्धों को : अमेरिकी अधिकारी

IANS News
Update: 2020-11-18 13:01 GMT
अगला दलाई लामा चुनने का हक चीन को नहीं, तिब्बती बौद्धों को : अमेरिकी अधिकारी
हाईलाइट
  • अगला दलाई लामा चुनने का हक चीन को नहीं
  • तिब्बती बौद्धों को : अमेरिकी अधिकारी

न्यूयॉर्क, 18 नवंबर (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक मामलों की देखरेख करनेवाले एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, अमेरिका ने तिब्बती बौद्धों को अगला दलाई लामा का चयन करने का अधिकार दिए जाने का समर्थन किया है और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को इस अधिकार से वंचित किया है।

अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए राजदूत सैमुअल ब्राउनबैक ने मंगलवार को कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका अगले दलाई लामा का चीन द्वारा चयन किए जाने का विरोध करता है।

उन्होंने कहा, उन्हें ऐसा करने का कोई हक नहीं है। उनके पास ऐसा करने का कोई धार्मिक आधार नहीं है।

गौरतलब है कि 85 वर्षीय दलाई लामा तिब्बती बौद्धों के 14वें नेता हैं और उन्होंने तिब्बत पर चीनी अधिग्रहण का विरोध करते हुए भारत में शरण ली।

परंपरागत रूप से दलाई लामा यह निर्देश देते हैं कि दलाई लामा कहां से चयनित किए जाए, लेकिन चीन सरकार ने जोर देकर कहा है कि यह निर्धारित करने का अधिकार उसका है कि तिब्बती बौद्धों का नेता कौन बने।

ब्राउनबैक ने एक टेलीफोन ब्रीफिंग के दौरान संवाददाताओं से कहा, हमें लगता है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का यह कहना पूरी तरह से गलत है कि उनके पास यह अधिकार है।

उन्होंने कहा, तिब्बती बौद्धों ने सैकड़ों सालों तक अपने नेता को सफलतापूर्वक चुना है और उन्हें अब भी ऐसा करने का अधिकार है।

दलाई लामा ने कहा था कि जब वह 90 के आसपास पहुंचते हैं, तो वे अन्य लामाओं, तिब्बती जनता और धर्म के अनुयायियों से सलाह लेंगे कि वे यह तय करें कि दलाई लामा की संस्था जारी रहनी चाहिए या नहीं।

उन्होंने आगे कहा था कि अगर यह तय किया गया कि उत्तराधिकारी होना चाहिए, तो दलाई लामा के गादेन फोडरंग ट्रस्ट के अधिकारियों पर पिछली परंपराओं के अनुसार व्यक्ति को पहचानने की प्राथमिक जिम्मेदारी होगी और वह इसके लिए लिखित निर्देश देंगे।

दलाई लामा ने चेतावनी दी कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना सहित किसी भी व्यक्ति द्वारा राजनीतिक छोर के लिए चुने गए उम्मीदवार को कोई मान्यता या स्वीकृति नहीं दी जानी चाहिए।

एमएनएस/एसजीके

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