लगातार पैर हिलाने से बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा

लगातार पैर हिलाने से बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-19 04:21 GMT
लगातार पैर हिलाने से बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा


डिजिटल डेसक । अक्सर बच्चों को पैर हिलाते देख आप टोक देते हैं और पैर ना हिलाने की सलाह देते हैं। ये आदत अगर बचपन में ना छूटे तो बड़े होकर काफी दिक्कतें पैदी कर सकती हैं। अगर आपको बैठे या लेटे हुए पैर हिलाने की आदत है तो सावधान हो जाइए। दरअसल पैर हिलाने से हमारे शरिर पर बुरा असर पड़ता हैं और हार्ट अटैक के चांसेस बढ़ जाते हैं। ये रेस्टलेस सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं। इसका कारण शरीर में आयरन की कमी है। ये समस्या दुनियाभर के 10 फीसदी लोगों को होती है। ज्यादातर 35 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों को ये समस्या होती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति औसतन नींद न आने से पहले 200-300 बार अपने पैर हिलाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि लगातार पैर हिलाने से दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।

 

 

क्या है रेस्टलेस सिंड्रोम?

यह नर्वस सिस्टम से जुड़ा रोग है। पैर हिलाने पर व्यक्ति में डोपामाइन हॉर्मोन रिलीज होने के कारण उसे ऐसा बार-बार करने का मन करता है। इसे स्लीप डिसऑर्डर भी कहते हैं। नींद पूरी न होने पर इंसान थका हुआ महसूस करता है। जांच लक्षणों के आधार पर ब्लड टेस्ट किया जाता है। नींद न आने की दिक्कत बढ़ने पर पॉलिसोमनोग्राफी (PSG) भी करवाकर इसकी पुष्टि की जाती है। इस जांच से नींद न आने के कारणों का पता चलता है। हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ संतोष कुमार की मानें तो, बहुत ज्यादा पैर हिलाना भी बीमारी का ही लक्षण है, जिसे लोग सामान्य बात मानते हैं। थोड़ा ध्यान देकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।

 

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बीमारी के लक्षण

- पैरों में झनझनाहट और चीटियां चलने जैसा महसूस होना
- दिन में बैठने और कुछ लोगों में रात में सोते समय भी पैर हिलाना
- पैर दबवाने, मसाज करवाने की इच्छा करना और थकावट महसूस होना

 

 

बीमारी की वजह और इलाज

आयरन की कमी के कारण होता है। इसके अलावा किडनी, पार्किंसंस से पीड़ित मरीजों व गर्भवती महिलाओं में डिलिवरी के अंतिम दिनों में हॉर्मोनल बदलाव के कारण भी हो सकता है। ज्यादा शराब पीने व कुछ खास दवाओं (जुकाम व ऐलर्जी) से भी रेस्टलेस सिंड्रोम होने का खतरा रहता है। शुगर, बीपी व हृदय रोगियों में इसका खतरा बढ़ता है। इलाज के तौर पर आयरन की दवाएं दी जाती हैं। बीमारी गंभीर होने पर अन्य दवाएं दी जाती हैं, जो सोने से दो घंटे पहले लेनी होती हैं। ये अनिद्रा दूर कर स्थिति सामान्य करती हैं। कुछ खास व्यायाम जैसे हॉट ऐंड कोल्ड बाथ, वाइब्रेटिंग पैड पर पैर रखने से भी राहत मिलती है।
 

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