टॉयलेट : अ ट्राइबल लव स्टोरी, शौचालयों ने बदली आदिवासियों की जिंदगी

टॉयलेट : अ ट्राइबल लव स्टोरी, शौचालयों ने बदली आदिवासियों की जिंदगी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-17 11:24 GMT
टॉयलेट : अ ट्राइबल लव स्टोरी, शौचालयों ने बदली आदिवासियों की जिंदगी

डिजिटल डेस्क,भोपाल। ज्यादा नहीं, कोई दो दशक पुरानी बात होगी। एमपी के मंडला और डिंडोरी जिलों के बैगा आदिवासी मुंह अंधेरे उठकर जंगल चले जाया करते थे। शौच से निपटने के बाद नदी में नहाकर वे कई तरह की भाजियां, कंंद-मूल और जंगली फल लेकर घर लौटते। लेकिन सदियों से चली आ रही इस परिपाटी ने बैगाओं को विरासत में बीमारियां दीं। अब उन्हें विज्ञान ने सिखाया है कि खुले में शौच से बीमारी फैलाने वाले कीटाणु जलस्राेतों में मिलकर लोगों, खासकर बच्चों को बीमार ही करते हैं। 

देश में चल रहे स्वच्छता मिशन के तहत डिंडोरी में बैगाओं के स्वर्ग यानी बैगाचक में भी टॉयलेट बन रहे हैं। घर के नजदीक बन रहे इन टॉयलेट्सस ने लोगों की जिंदगी में बड़ा बदलाव किया है। वॉटर एड के लिए देया के जाने-माने फोटोग्राफर रॉनी सेन ने अपने कैमरे से खुद इन बदलावों को कैद किया। आइए जाने मामले-दर-मामले इन बदलावों की कहानी, रॉनी के कैमरे की जुबानी।

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