लीबिया में अगवा 7 भारतीय नागरिक रिहा

लीबिया में अगवा 7 भारतीय नागरिक रिहा

IANS News
Update: 2020-10-13 11:30 GMT
लीबिया में अगवा 7 भारतीय नागरिक रिहा
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नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। लीबिया में अगवा भारत के 7 नागरिकों को छोड़ दिया गया है। इनको पिछले महीने अगवा कर लिया गया था। भारत सरकार ने एक बयान में यह जानकारी दी।

भारतीय नागरिकों को एक महीना पहले उस समय अपहरण कर लिया गया था, जब वे भारत आने के लिए फ्लाइट पकड़ने त्रिपोली एयरपोर्ट जा रहे थे।

आंध्र प्रदेश, बिहार और गुजरात के रहने वाले 7 नागरिकों को 14 सितंबर को लीबिया के अश्शरीफ इलाके से अगवा कर लिया गया था। वे वहां कंस्ट्रक्शन और तेल क्षेत्र निर्माण कंपनी में काम करने गए थे।

अपहर्ताओं ने इनके कंपनी मालिकों से संपर्क किया और सबूत के तौर पर इनकी तस्वीर दिखाई कि वे सुरक्षित हैं।

लंबे समय तक सैन्य शासक रहे मुअम्मर गद्दाफी को वर्ष 2011 में हटाए जाने के बाद तेल समृद्ध देश लीबिया अराजकता और राजनीतिक अस्थिरता में फिसल गया। 2014 से लीबिया त्रिपोली स्थित कई गुटों द्वारा संचालित किया जा रहा है। प्रतिबंधित आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) ने लीबिया के कई तटीय शहरों पर कब्जा कर लिया जो कि 2017 तक जारी रहा। अब ये प्रतिबंधित संगठन रेगिस्तान के अंदरूनी हिस्सों तक ही सीमित है।

सितंबर 2015 में भारत सरकार ने अपने नागरिकों के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें कहा गया कि लोग लीबिया की यात्रा करने से बचें। बाद में मई 2016 में, सरकार ने लीबिया में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर इस देश की यात्रा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। यात्रा प्रतिबंध अभी भी लागू है।

विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि ट्यूनीशिया के भारतीय राजदूत पुनीत रॉय कुंडल ने उन सात भारतीय नागरिकों से फोन पर बात की, जब उन्हें अपहर्ताओं द्वारा कंपनी अल शोला अल मुदिया को सौंप दिया गया था।

भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, रिहा किए गए सभी भारतीय नागरिक अच्छे स्वास्थ्य में हैं और फिलहाल ब्रेगा में कंपनी के परिसर में रह रहे हैं। हम भारत लौटने के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।

भारत सरकार ने लीबिया के अधिकारियों और क्षेत्र के आदिवासी बुजुर्गों को भारतीय नागरिकों की रिहाई में मदद करने पर सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। बयान में कहा गया है, ट्यूनीशिया के हमारे राजदूत और हमारे स्थानीय कांसुलर कर्मचारी उनके और कंपनी के लगातार संपर्क में थे।

एसकेपी/एसजीके

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