पहले चीफ फील्ड मार्शल करिअप्पा को भारत रत्न दिया जाए: सेना प्रमुख

पहले चीफ फील्ड मार्शल करिअप्पा को भारत रत्न दिया जाए: सेना प्रमुख

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-04 08:36 GMT
पहले चीफ फील्ड मार्शल करिअप्पा को भारत रत्न दिया जाए: सेना प्रमुख

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भारतीय सेना के पहले कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा को "भारत रत्न" देने की मांग की है। सेना प्रमुख कहा कि "केएम करिअप्पा को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने का वक्त आ गया है। सेना प्रमुख ने केएम करिअप्पा के नाम की सिफारिश करने की बात कही। उन्होंने आगे ये भी कहा कि "अगर दूसरों को ये सम्मान मिल सकता है तो मुझे कोई वजह नहीं दिखती कि केएम करिअप्पा को ये सम्मान न दिया जाए।

                               

करिअप्पा ने आजादी से पहले और बाद में सेना की कमान संभाली

1899 में जन्मे जनरल के. एम. करिअप्पा  1947 में स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना के पहले कमांडर इन चीफ थे। करिअप्पा का पूरा नाम कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा था। उन्होंने साल 1947 में हुए भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया था। आजादी से पहले और आजादी के बाद, हमारी सेना की कमान संभालने वाले करिअप्पा ने 15 मई 1993 को 94 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया था। 

                             

करिअप्पा भारतीय सेना के उन दो अधिकारियों में शामिल हैं जिन्हें फील्ड मार्शल की पदवी दी गई। फील्ड मार्शल सैम मानेकशा दूसरे ऐसे अधिकारी थे, जिन्हें फील्ड मार्शल का रैंक दिया गया था। करिअप्पा को "कीपर" के नाम से भी पुकारा जाता था।

पढ़ाई के साथ स्पोर्ट्स में लेते थे रुचि

                               

करिअप्पा के पिता कोडंडेरा माडिकेरी में एक राजस्व अधिकारी थे। घर में उन्हें सभी लोग प्यार से "चिम्मा" कहकर पुकारते थे। करिअप्पा की प्रारम्भिक शिक्षा माडिकेरी के सेंट्रल हाईस्कूल में हुई। शुरू से ही वो पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। उन्हें मैथ्स और चित्रकला बेहद पसंद थी। साल 1917 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। एक स्टूडेंट होने के साथ-साथ वो एक अच्छे खिलाड़ी भी थे। उन्हें क्रिकेट, हॉकी, टेनिस जैसे खेलों में कई मेडल मिले थे।

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