देश की 24 लापता ऐतिहासिक धरोहरों की तलाश शुरू

देश की 24 लापता ऐतिहासिक धरोहरों की तलाश शुरू

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-15 06:15 GMT
देश की 24 लापता ऐतिहासिक धरोहरों की तलाश शुरू

डिजिटल डेस्क, दिल्ली। भारतीय पुरातत्व विभाग ने देश की 24 लापता धरोहरों की तलाशने का काम शुरू कर दिया है। बता दें के कई बार संसद में लापता धरोहरों का मामला उठने के बाद एएसआई ने अपने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इन धरोहरों की तलाश शुरू की जाए। इन ऐतिहासिक धरोहरों में स्मारक, मंदिर, बौद्ध खंडहर, कब्रिस्तान, मीनारें आदि शामिल हैं। देश की कुछ धरोहरें दशकों से गायब हैं। इनमें उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा दस धरोहरें शामिल हैं। 

 

भौगोलिक स्थिति तलाशना मुश्किल

 

एएसआई निदेशक देवकीनंदन डिमरी के मुताबिक 24 धरोहरों की यह सूची ब्रिटिश काल की है। तब से कई स्थानों और गांवों के नाम बदल गए हैं। खसरा नंबर परिवर्तित हो चुके हैं। ऐसे में उनकी तलाश मुश्किल हो गई है। आशंका है कि कई धरोहरों को दूसरी जगहों पर पहुंचा दिया गया होगा। बता दें इन इमारतों के लापता होने के कई कारण हैं। कई धरोहरों का रिकार्ड एएसआई नहीं रख पाया। इससे उनकी भौगोलिक स्थिति को तलाशना मुश्किल हो गया है। कई धरोहरों के प्राकृतिक आपदाओं और निर्माण कार्यों की भेंट चढ़ने की आशंका है। कई धरोहर प्राकृतिक आपदाओं और निर्माण कार्यों की भेंट चढ़ने की आशंका है।

 

 

 

 

नहीं हो पा रही धरोहरों की रक्षा

 

इतिहासकार स्वप्ना लिडल के अनुसार, मुताबिक बहुत से धरोहर पर्यटन स्थल नहीं बन पाए, जिससे स्थानीय लोगों को भी उनका ऐतिहासिक महत्व नहीं पता चल पाता। ऐसे में किसी निर्माण के रास्ते में वे पड़ जाएं, तो उनकी रक्षा करना मुश्किल हो जाता है। इस साल दो जनवरी को संसद में एक कानून पेश किया गया, जिसमें ऐतिहासिक धरोहरों के आसपास के क्षेत्र में निर्माण प्रतिबंध के नियम कमजोर हो गए हैं। कई सांसदों ने इसका विरोध किया है। यह बिल अभी राज्यसभा में पास होना बाकी है।

 

 

 

 

खुदाई में मिले कुछ पुरातात्विक अवशेष


एएसआई के मुताबिक देश की कुल संरक्षित इमारतों की संख्या 3864 है। 

सिर्फ 24 इमारतें लापता हैं। 14 धरोहर शहरीकरण और 12 बांधों की भेंट चढ़ गई हैं। 

9 साल में 11 इमारतों को खोज निकाला गया है। 2009 में इनकी संख्या 35 थीं। 

अल्मोड़ा का कुटुम्बरी देवी मंदिर पहले लापता था, लेकिन बाद में पता चला कि मंदिर गिरने के बाद गांव वाले उसके अवशेष ले आए।

जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक की दो स्मारक और पुणे में स्थित यूरोपियन कब्रों को भी खोज जा चुका है।
 

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