'मालेगांव मामले में NIA बीजेपी के प्रेशर में काम कर रही'

'मालेगांव मामले में NIA बीजेपी के प्रेशर में काम कर रही'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-27 14:21 GMT
'मालेगांव मामले में NIA बीजेपी के प्रेशर में काम कर रही'

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई की विशेष अदालत ने 2008 के मालेगांव बम धमाके के मामले मे आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह, रमेश उपाध्याय, कर्नल प्रसाद पुरोहित पर मकोका कानून के तहत लगाए गए आरोप हटा दिए हैं। इसपर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता शकील अहमद का कहना है कि इस मामले में एनआईए बीजेपी के प्रेशर में काम कर रही है। शकील अहमद ने कहा, "सभी को पता है कि भाजपा सरकार इस केस से जुड़े लोगों को मदद पहुंचाने के लिए वकीलों पर दबाव बना रही है। सरकारी वकील ने कहा है कि एनआईए ने उन्हें इस केस में देर से सुनवाई के लिए दबाव डाला है।"

गौरतलब है कि मालेगांव ब्‍लास्‍ट मामले में आरोपी साध्‍वी प्रज्ञा, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को राहत मिली है। इन चारों आरोपियों से मकोका और यूएपीए की धारा हटा दी गई है। इस मामले में सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं और स्‍पेशल NIA कोर्ट ने उनकी जमानत अवधि बढ़ा दी है।

इस मामले पर 20 नवंबर 2008 को मकोका लगा दिया गया और ATS ने 21 जनवरी 2009 को पहला आरोप पत्र दायर किया,  जिसमें 11 गिरफ्तार और 3 फरार आरोपी दिखाए गए। इसके बाद इस केस की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई। NIA ने तकरीबन 4 साल की जांच के बाद 31 मई 2016 को नई चार्जशीट फाइल की थी

क्या है मालेगांव धमाका
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के मालेगांव के अंजुमन चौक तथा भीकू चौक पर 29 सितंबर 2008 को बम धमाके हुए थे। इनमें 6 लोगों की मौत हो गई थी वहीं 101 लोग घायल हुए थे। इस मामले में महाराष्ट्र ATS ने  पाया कि ब्लास्ट के पीछे कथित तौर पर कुछ हिन्दुवादी संगठनों का हाथ है। इस केस के बाद ही सबसे पहले हिंदू आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल हुआ था। करीब चार हजार पन्नों के आरोप पत्र में यह आरोप लगाया गया था कि मालेगांव को धमाके के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि वहां भारी तादात में मुस्लिम आबादी थी।  इस धमाके के मुख्य आरोपी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल को मुख्य अभियुक्त माना गया, जबकि स्वामी दयानंद पांडे को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया था।
 

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