बुराड़ी केस: 11 मौत की मिस्ट्री सुलझा सकती है ‘साइकोलॉजिकल अटॉप्सी’

बुराड़ी केस: 11 मौत की मिस्ट्री सुलझा सकती है ‘साइकोलॉजिकल अटॉप्सी’

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-07 02:37 GMT
बुराड़ी केस: 11 मौत की मिस्ट्री सुलझा सकती है ‘साइकोलॉजिकल अटॉप्सी’

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के बुराड़ी इलाके में 11 लोगों की मौत के मामले में हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं, लेकिन मौत की मिस्ट्री अब तक नहीं सुलझ पाई है। वहीं दिल्ली पुलिस कोई भी जांच कराने में पीछे नहीं हट रही है। आज (7 जुलाई) इस मामले की फाइनल पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ सकती है। क्राइम ब्रांच मृतकों का "साइकोलॉजिकल अटॉप्सी" कराने की तैयारी कर रही है, जिससे साफ हो जाएगा कि सुसाइड से पहले उनके दिमाग में आखिर क्या चल रहा था।

 

 

दरअसल दिल्ली पुलिस अंतिम पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। शवों के विसरा को भी फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा, जिससे पता चल सकेगा कि मृतकों को जहर तो नहीं दिया गया था। हालांकि शुरुआती ऑटॉप्सी रिपोर्ट में कहा गया था, सभी लोगों की मौत रस्सी से लटकने की वजह से हुई है। मृतकों के शरीर पर संघर्ष और चोट के निशान भी नहीं थे।

 

साइको डिसीज का शिकार था परिवार

ऐसा कहा जा रहा है कि परिवार का मुखिया ललित और परिवार के सभी सदस्य साइको डिसीज "शेयर साइकोसिस" के शिकार थे। इस बीमारी में एक व्यक्ति अपनी दिमागी बिमारी का प्रभाव अपने अनुसरण करने वालों पर डालता है, जब तक कि वो पूरी तरह उसकी गिरफ्त में ना आ जाएं। इसी वजह से पुलिस मामले में साइकोलॉजिकल अटॉप्सी (मनोवैज्ञानिक पोस्टमॉर्टम) कराने की तैयारी में है। साइकोलॉजिकल अटॉप्सी सुदकुशी के केस में ही किया जाता है। इस जांच का मकसद आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के दिमाग के अन्दर के तथ्यों का पता लगाना होता है।

 

जानिए कैसे होती है साइकोलॉजिकल अटॉप्सी

दरअसल खुदकुशी के मामलों में साइकोलॉजिकल अटॉप्सी काफी मददगार होती है। इसमें शव की जरूरत नहीं होती है सिर्फ उसकी क्लीनिकल पोस्टमार्टम रिपोर्ट के तथ्यों को इसमें शामिल किया जाता है। साइकोलॉजिकल अटॉप्सी में मृतक से जुड़े हर पहलू की जांच की जाती है। मौत के दिन के आस-पास उसके बात व्यवहार और व्यक्तित्व को समझने की कोशिश की जाती है। 

 

जांच में पता चलेगा मृतक का व्यवहार

विशेषज्ञों के अनुसार, साइकोलॉजिकल अटॉप्सी से पता लगाया जा सकता है कि मृतक का व्यक्तित्व और व्यवहार कैसा था। दूसरों के प्रति उसका कैसा रुख था। परिवार के प्रति उसका आचरण क्या था। मौत से पहले उसने किससे क्या बात की। इन सबको आधार बनाकर मृतक के जीवन के हर पहलू को जानने का प्रयास किया जाता है। पुलिस का मानना है कि 11 मौतों के मामले में भी "साइकोलॉजिकल अटॉप्सी" काफी मददगार साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें 11 रजिस्टर मिले हैं, जिनमें मोक्ष, भगवान, अनुष्ठान, अध्यात्म तंत्र-विद्या से जुड़ी बातें लिखी हैं।

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