विनिवेश के पंख से एयर इंडिया भरेगी उड़ान

विनिवेश के पंख से एयर इंडिया भरेगी उड़ान

Bhaskar Hindi
Update: 2017-06-28 16:04 GMT
विनिवेश के पंख से एयर इंडिया भरेगी उड़ान

एजेंसी, नई दिल्ली। करीब 60,000 करोड़ रुपए के भारी-भरकम कर्ज में डूबी एयर इंडिया को कर्ज से उबारने की कवायद सरकार ने शुरू कर दी है। इसके लिए सरकार ने कंपनी में विनिवेश की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई गई है। विनिवेश के रास्ते निजी निवेश के बढ़ावे से सरकार एयर इंडिया की सुस्त पड़ रही रफ़्तार को तेज करना चाहती है। बता दें कि मोदी सरकार कई सरकारी संस्थाओं के निजीकरण पर लम्बे समय से विचार कर रही है।

एयर इंडिया में निजी निवेश को बढ़ावा देने की योजना लम्बे समय से थी। मोदी सरकार ने इसमें विनिवेश को मंजूरी दी है। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार शाम हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई।

एयर इंडिया सरकारी क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी घरेलू विमानन कंपनी है। एयर इंडिया 41 इंटरनेशनल और 72 घरेलू स्थानों के लिए उड़ान सेवाएं देती है । विमानन बाजार के हिसाब से 17 फीसदी हिस्सेदारी के साथ एयर इंडिया देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी है । घरेलू यात्रियों के बाजार में भी कंपनी14।6 फीसदी हिस्सेदारी है। हालांकि निजी कंपनियों के तेजी से हुए विस्तार से इसकी हिस्सेदारी लगातार घट रही है।


30,000 करोड़ का कर्ज माफ़ करें 
आंकड़ों के मुताबिक़ एयर इंडिया पर करीब 60,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसमें 21,000 करोड़ रुपए विमान संबंधी कर्ज है, जबकि 8,000 करोड़ रुपए के करीब वर्किंग कैपिटल का हिस्सा है। इसमें से 30,000 करोड़ रुपए के कर्ज को नीति आयोग ने 'राइट ऑफ' करने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश की है। 'राइट ऑफ' ऐसी प्रक्रिया है, जिससे 'बैड लोन' को 'बैलेंस शीट' से हटाकर ज्यादा कर्ज या टैक्स भार माफ़ कर दिया जाता है। 


निजीकरण बढ़ाने के संकेत
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैठक में कहा कि 'विनिवेश से हमेशा संभावनाएं तलाशी जाती रही हैं। हमने अब इस ओर भी कदम बढ़ाने का फैसला लिया है । कुछ संस्थाओं को निजीकरण की ओर बढ़ाया जा सकता है । ऐसे संस्थानों को हमने चिन्हित भी किया है ।'

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