चंद्रयान-2: जागी नईं उम्मीद.. मिल गया विक्रम, संपर्क करने का प्रयास जारी

चंद्रयान-2: जागी नईं उम्मीद.. मिल गया विक्रम, संपर्क करने का प्रयास जारी

Bhaskar Hindi
Update: 2019-09-08 11:07 GMT
चंद्रयान-2: जागी नईं उम्मीद.. मिल गया विक्रम, संपर्क करने का प्रयास जारी
हाईलाइट
  • ISRO ने चंद्रयान-2 के विक्रम मॉड्यूल की लोकेशन का पता लगा लिया है
  • ISRO विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहा है
  • इसरो प्रमुख के सिवन ने रविवार को इसकी जानकारी दी

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। चंद्रयान-2 के विक्रम मॉड्यूल से संपर्क टूटने के एक दिन बाद ISRO ने इसकी लोकेशन का पता लगा लिया है। हालांकि अभी भी विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हो सका है। ISRO के वैज्ञानिक लगातार सिग्नल भेजकर विक्रम से दोबारा संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। इसरो प्रमुख के सिवन ने रविवार को इसकी जानकारी दी।

के सिवन ने कहा, "हमें चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर की लोकेशन का पता चल गया है। ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल इमेज क्लिक की है। लेकिन अभी तक कोई कम्यूनिकेशन नहीं हो सका है। हम कम्यूनिकेशन करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि जल्द ही लैंडर से संपर्क स्थापित कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा, "विक्रम की चंद्रमा पर हार्ड लैंडिंग हुई होगी।" उनसे जब पूछा गया कि क्या इससे हार्ड लैंडिंग के चलते विक्रम डैमेज हो गया होगा? सिवन ने कहा, "ये हमें नहीं पता।"

इससे पहले सिवन ने दूरदर्शन को दिए इंटरव्यू में कहा था कि अगले दो हफ्तों तक हम लैंडर से कम्यूनिकेशन बनाने का प्रयास करते रहेंगे। बता दें कि लैंडर की लाइफ 14 दिनों की है।

जिस समय शनिवार की सुबह संपर्क टूटा था, विक्रम चंद्रमा की सतह से लगभग 2 किमी ऊपर था। यह लगभग 60 मीटर/सेकंड की स्पीड से यात्रा कर रहा था, और लगभग 48 मीटर/सेकंड पर वर्टिकली नीचे आ रहा था। यह स्पष्ट था कि यदि स्पीड को तुरंत कम नहीं किया गया तो लैंडर कुछ सेकंड के भीतर चंद्रमा पर क्रैश हो जाएगा, लेकिन तभी लैंडर के साथ इसरो का कम्यूनिकेशन टूट गया।

इसरो के वैज्ञानिक अभी डेटा का एनालिसिस कर रहे हैं जिसके बाद पता चल पाएगा कि विक्रम ने प्रोग्रामिंग के अनुसार चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की या फिर वह क्रैश हो गया।

विक्रम से संपर्क टूटने के बाद इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा था, "विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा। इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया। आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।" हालांकि मुख्य अंतरिक्ष यान "ऑर्बिटर" अभी भी चंद्रमा की कक्षा में है और वह कम से कम एक वर्ष तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाना जारी रखेगा। ऑर्बिटर में लगे आठ पेलोड 100 किलोमीटर की दूरी से अलग-अलग डाटा इकट्ठा करेंगे।

चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के इसरो के प्रयासों की दुनियाभर में तारीफ की जा रही है। नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने कहा, "हम इसरो के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उनके चंद्रयान -2 मिशन को उतारने के प्रयास की सराहना करते हैं। आपने हमें अपनी यात्रा से प्रेरित किया है और भविष्य में आपके साथ मिलकर सौर मंडल को एक्सप्लोर करना चाहते हैं।

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