हंगामे के बाद राज्यसभा बुधवार तक स्थगित, पेश नहीं हो सका नागरिकता संशोधन बिल

हंगामे के बाद राज्यसभा बुधवार तक स्थगित, पेश नहीं हो सका नागरिकता संशोधन बिल

Bhaskar Hindi
Update: 2019-02-12 03:33 GMT
हंगामे के बाद राज्यसभा बुधवार तक स्थगित, पेश नहीं हो सका नागरिकता संशोधन बिल
हाईलाइट
  • पूर्वात्तर के राज्य कर रहे विरोध
  • बिल पास होने पर 6 साल हो जाएगी नागरिकता की लिमिट
  • लोकसभा में पास हो चुका है बिल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले महीने 8 जनवरी को लोकसभा में पास हुआ नागरिकता संसोधन बिल मंगलवार को राज्यसभा में पेश होना था, लेकिन विपक्ष के हंगामें के बीच इसे पेश नहीं किया जा सका। दरअसल, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश कुमार को  लखनऊ एयरपोर्ट पर प्रयागराज जाने से रोक दिया गया था। इस कारण संसद में जोरदार हंगामा हुआ। हंगामें के बीच की बार राज्यसभा की कार्यवाही को रोकना पड़ा। इसके बावजूद जब हंगामा नहीं थमा तो राज्यसभा की कार्यवाही को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

बता दें कि उत्तर पूर्वी राज्यों में इस बिल का भारी विरोध किया जा रहा है। इस बिल के विरोध में कई जगहों पर हिसंक प्रदर्शन किए जा रहे हैं। मणिपुर की राजधानी इंफाल में हिंसक प्रदर्शन के बाद कई जगहों पर कर्फ्यू लगाना पड़ा। यहां तक की इंटरनेट सेवाएं भी कुछ देर के लिए बंद कर दी गई है। 7 दल इस बिल के विरोध में हैं। कांग्रेस, राजद, एआईएमआईएम, बीजद, माकपा, एआईयूडीएफ और आईयूएमएल।

बीजेपी की सरकार वाले पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी संशोधन बिल का विरोध किया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। दोनों मुख्यमंत्रियों ने गृहमंत्री से राज्यसभा में बिल न पेश करने की गुजारिश की थी। राजनाथ सिंह ने दोनों मुख्यमंत्रियों को आश्वासन दिया था कि पूर्वोत्तर के मूल लोगों के अधिकारों को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।

नागरिकता संशोधन बिल
दरअसल केंद्र सरकार 1955 में आए नागरिकता कानून बिल में संशोधन करना चाहती है। इस कानून के अनुसार पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देश से आए रिफ्यूजी को 12 साल देश में गुजारने के बाद नागरिकता मिलती है। हालांकि केंद्र सरकार इसको संशोधित कर इसके टाइम लिमिट को घटाना चाहती है। संशोधन के बाद 12 साल के बजाए 6 साल भारत में गुजारने पर नागरिकता मिल सकेगी। नॉर्थ-ईस्ट के लोग इसके खिलाफ हैं और इस बिल का विरोध कर रहे हैं। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इस बिल का सबसे ज्यादा असर असम और मणिपुर समेत सभी पूर्वोत्तर राज्य पर पड़ेगा। लोगों का कहना है कि बांग्लादेशी लोगों के आने से असम और कई राज्यों की संस्कृति पर असर पड़ेगा।

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