राम मंदिर की प्रतीक्षा में 28 साल से अन्न ग्रहण नहीं किया, 5 अगस्त को पूरा होगा संकल्प

राम मंदिर की प्रतीक्षा में 28 साल से अन्न ग्रहण नहीं किया, 5 अगस्त को पूरा होगा संकल्प

IANS News
Update: 2020-08-04 05:00 GMT
राम मंदिर की प्रतीक्षा में 28 साल से अन्न ग्रहण नहीं किया, 5 अगस्त को पूरा होगा संकल्प

जबलपुर, 4 अगस्त (आईएएनएस) मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहने वाली 81 वर्षीय उर्मिला चतुवेर्दी का पांच अगस्त को वह संकल्प पूरा होने जा रहा है, जिसके कारण उन्होंने 28 साल से अन्न नहीं ग्रहण किया। वर्ष 1992 में जब अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाया गया था, तब उन्होंने संकल्प लिया था कि राम मंदिर का निर्माण शुरू होने पर ही अन्न ग्रहण करेंगी।

बुजुर्ग उर्मिला बताती हैं कि अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद भड़की हिंसा से वे व्यथित थीं और उन्होंने संकल्प लिया था कि जिस दिन सभी की सहमति से राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा, उसके बाद ही अन्न ग्रहण करेंगी। छह दिसंबर, 1992 के बाद से वे लगातार फलाहार ले रही हैं और उनका अधिकांश समय रामायण का पाठ करने और माला जपने में गुजरता रहा है।

स्थानीय जबलपुर के विजय नगर में रहने वाली उर्मिला देवी उस दिन से खुश हैं, जिस दिन सर्वोच्च न्यायालय ने मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। उन्होंने फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर बधाई दी थी।

चतुर्वेदी ने जब उपवास शुरू किया था, तब उनकी उम्र 53 साल थी। पहले लोगों ने उन्हें बहुत समझाया कि उपवास तोड़ दें, लेकिन वे अडिग रहीं और फलाहार के साथ-साथ राम भक्ति में लीन रहीं।

उर्मिला चतुवेर्दी का कहना है कि वे अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करने के बाद ही अन्न ग्रहण करने की इच्छा रखती हैं। उनके लिए राम मंदिर का निर्माण पुर्नजन्म जैसा है।

उर्मिला का कहना है कि राम मंदिर के लिए भूमि पूजन होने के बाद वह अयोध्या जाएंगी और सरयू में स्नान करने बाद रामलला के दर्शन करने के बाद अपना संकल्प पूरा करते हुए अन्न ग्रहण करना चाहेंगी।

परिवार के सदस्यों ने भी कहा है कि वे भूमि पूजन के बाद उर्मिला को लेकर अयोध्या जाएंगे और इतने सालों का उनका संकल्प पूरा करने में उनकी मदद कर पुण्य कमाना चाहेंगे।

जबलपुर की उर्मिला द्वारा 28 वर्ष तक अन्न न ग्रहण करने की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रामस्तुति ट्वीट की, श्री रामचंद्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं। नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं।

उन्होंने आगे लिखा है, प्रभु श्रीराम कभी भक्तों को निराश नहीं करते हैं, फिर चाहे वह त्रेतायुग की शबरी माता हों या आज की मैया उर्मिला! माता, धन्य है आपकी श्रद्धा! यह संपूर्ण भारतवर्ष आपको नमन करता है! जय सियाराम!

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