क्यां हमें चीन की सीमा के लिए दूसरे माउंटन स्ट्राइक कॉर्प्स की आवश्यकता है?

क्यां हमें चीन की सीमा के लिए दूसरे माउंटन स्ट्राइक कॉर्प्स की आवश्यकता है?

IANS News
Update: 2020-10-13 11:01 GMT
क्यां हमें चीन की सीमा के लिए दूसरे माउंटन स्ट्राइक कॉर्प्स की आवश्यकता है?
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नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। एक दशक पहले चीन-केंद्रित माउंटेन स्ट्राइक कोर (एमएससी) की परिकल्पना की गई थी। जिसके बाद 2013 में लगभग 65,000 करोड़ रुपये की शुरुआती लागत के साथ एक ब्लूप्रिंट तैयार हुई। हालांकि अब भारत-चीन सीमा गतिरोध के छह महीने बीत जाने के बाद विशेषज्ञ चीन के लिए एक दूसरे एमएससी की आवश्यकता के बारे में बात कर रहे हैं।

वित्तीय संकट के कारण 17 एमएससी का काम ठप हो गया और यह आज सिर्फ एक डिवीजन के साथ काम कर रहा है। 17 एमएससी के अंतर्गत एकमात्र ऑपरेशनल डिवीजन 59 डिविजन है, जो कि पानागढ़ में स्थित डिविजन और कॉर्प्स दोनों के साथ है। 59 डिविजन के अंतर्गत छह ब्रिगेड हैं, जिनमें से तीन इन्फैंट्री और एक-एक इंजीनियर, एयर डिफेंस और आर्टिलरी (जो हाल ही में जोड़ा गया है) के हैं।

एक दूसरे एमएससी की आवश्यकता के बारे में सैन्य विशेषज्ञों के अलग-अलग मत हैं।

अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और सेना प्रमुख जे.जे. सिंह का मानना है कि एक दूसरे माउंटन स्ट्राइक समय की जरूरत है। उन्होंने कहा, यह एक सोची समझी रणनीति थी। वास्तव में मेरे समय में पानागढ़ को एमएससी के मुख्यालय के रूप में चुना गया था और प्रणब मुखर्जी उस समय रक्षा मंत्री थे। मैकमोहन रेखा पर वह चीजें प्रभावी नहीं थी, जो लद्दाख लाइन ऑफ एक्च ुअल कंट्रोल (एलएसी) पर प्रभावी थी। इलाके और परिस्थितियां अलग हैं, साथ ही भौतिक चुनौतियां भी अलग हैं, इसलिए विभिन्न प्रकार की क्षमताओं की आवश्यकता है। हमारा देश एक बड़ा देश हैं, और हमें अपनी सीमाओं का बचाव करना होगा। यह एक बड़ी अनसुलझी सीमा है जो लगभग 4,000 किलोमीटर की है, और कुछ स्थानों पर यह पाकिस्तान में विलीन हो जाती है। संप्रभुता खोने की कीमत पर खर्च के बारे में सोचना एक अच्छा विचार नहीं है।

हालांकि सभी वरिष्ठ सैन्य विशेषज्ञ विचार का समर्थन नहीं करते हैं, बल्कि मैनपावर के मुकाबले आधुनिकीकरण का समर्थन करते हैं।

श्रीनगर स्थित 15 कोर के पूर्व जनरल-ऑफिसर-कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने कहा, फोर्स स्ट्रक्च र्स को ऑपरेशन की आवश्यकता के आधार पर तय किया जाता है जो खतरे के विश्लेषण पर निर्भर करता है। पहाड़ों के साथ मैदानों और रेगिस्तानों की तुलना नहीं की जा सकती। यह एक विरोधी के खिलाफ पैदा हुई ताकतों की संख्या के बारे में नहीं है। बल पर्याप्त हैं, हमें उन्हें और अधिक आधुनिक बनाने की आवश्यकता है।

उत्तरी सेना के पूर्व कमांडर सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डी. एस. हुड्डा ने कहा, जमीन पर अधिक बूटों के बजाय अधिक बढ़ी हुई क्षमता, अधिक अग्नि शक्ति, बेहतर बुनियादी ढांचे, रडार निगरानी, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और साइबर क्षमताएं होनी चाहिए। इसके लिए लागत की आवश्यकता है, इसलिए अतिरिक्त सैनिकों के बजाय अधिक से अधिक लड़ने की क्षमता विकसित करना बेहतर विचार है।

युनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के निदेशक मेजर जनरल बी.के. शर्मा की अलग राय है। उन्होंने कहा, फिलहाल पूर्वी लद्दाख के लिए अतिरिक्त बलों के अलावा, हमें दो एमएससी चाहिए, एक मध्य क्षेत्र के लिए और दूसरी पूर्वी कमान के लिए।

एमएनएस-एसकेपी

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