Fact Check : 9 मिनट लाइट बंद होने से ग्रिड क्रैश होने के दावे में कितनी सच्चाई? जानिए यहां

Fact Check : 9 मिनट लाइट बंद होने से ग्रिड क्रैश होने के दावे में कितनी सच्चाई? जानिए यहां

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-04 18:27 GMT

डिजिटलल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना वायरस से पूरा देश जंग लड़ रहा है। कोरोना संकट पर पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देशवासियों से अपील करते हुए कहा- 5 अप्रैल को रात 9 बजे घर की लाइट बंद कर बालकनी में आकर 9 मिनट तक दीया, मोमबत्ती या मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाएं ताकि कोरोना के अंधकार को प्रकाश से हराया जा सकें। ऐसे में अब सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि एक साथ लाइट बंद करने से इलेक्ट्रिकल ग्रिड क्रैश हो सकती हैं। इस तरह का दावा करने वालों में कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी है। तो क्या वाकई देशभर में आज रात लाइटें बंद करते ही इलेक्ट्रिक ग्रिड क्रैश हो जाएंगी? आइए जानते हैं इसकी हकीकत:

लाइट बंद करने से ग्रिड की कार्यप्रणाली पर क्या असर पड़ सकता है?
भारत में दुनिया के सबसे बड़े सिंक्रोनस इंटरकनेक्टेड ग्रिड में से एक है। यहां लगभग 370 गीगावाट (3,70,000 मेगा वाट) की स्थापित क्षमता और लगभग 150 गीगावाट की एक सामान्य बेसलोएड पावर डिमांड है। पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (POSOCO), नेशनल इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड ऑपरेटर, पावर डिमांड का अनुमान लगाकर ग्रिड को ट्रिपिंग से रोकने के लिए चौबीसों घंटे फ्रीक्वेंसी (डिमांड-सप्लाई बैलेंस) बनाए रखता है। नॉमिनल फ्रीक्वेंसी 50 हर्ट्ज है और POSOCO डिमांड-सप्लाई बैलेंस को बनाए रखने के लिए (49.9-50.5 हर्ट्ज) के बीच इस मेंटेन करके रखता है। फ्रीक्वेंसी को इस सीमा के भीतर बनाए रखने की आवश्यकता होती है क्योंकि हमारे घरों में सभी विद्युत उपकरण निश्चित पावर सप्लाई बैंड में काम करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। अगर फ्रीक्वेंसी ज्यादा हो जाएगी को वोल्टेज बढ़ जाएगा और कम होने पर वोल्टेज घट जाएगा।

10,000-15,000 मेगावाट बिजली की मांग अचानक गिर सकती है
जब भी इलेक्ट्रिकल डिमांड में अचानक बदलाव होता है तो ऑपरेटर को यह सुनिश्चित करने की जरूरत होती है कि ऑटोमैटिक करेक्टिव रेस्पॉन्स हो। अगर यह फेल हो जाए तो इसे मैन्युअल रूप से किया जाता है। असंतुलन को हैंडल करना ग्रिड ऑपरेटर का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील के बाद 5 अप्रैल को रात 9 बजे पूरे देश में एक साथ लाइट बंद होने से फ्रीक्वेंसी अचानक कम हो सकती है और 9 बजकर 9 मिनट के बाद लोड पोस्ट अचानक बढ़ सकता है। इस 9 मिनट की लाइट आउट एक्सरसाइज के दौरान, 10,000-15,000 मेगावाट बिजली की मांग अचानक गिर सकती है और फिर कुछ मिनट बाद स्ट्रीम पर आ सकती है। जिससे इलेक्ट्रिक ग्रिड के क्रैश होने की भी आशंकाएं जताई जा रही है।

कांग्रेस सांसद ने जताई ग्रिड क्रैश की आशंका
कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने उत्तर प्रदेश के पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड की एक चिट्‌ठी शेयर करते हुए लिखा "रविवार रात 9 बजे रात में बिजली की मांग में अप्रत्याशित कमी हो जाएगी और फिर 9.09 बजे अचानक बहुत बढ़ जाएगी। इस कारण इलेक्ट्रिकल ग्रिड कैश कर सकते हैं। इसलिए इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड्स रात 8 बजे से ही बिजली काटने और 9.09 बजे वापस देने की सोच रहे हैं"। थरूर ने पीएम पर तंज कसते हुए लिखा , "प्रधानमंत्री ने एक और चीज पर विचार नहीं किया।

डोमेस्टिक लोड केवल 30 प्रतिशत
सामान्य समय के दौरान डोमेस्टिक लोड टोटल लोड का लगभग 30-32 प्रतिशत रहता है। इंडस्ट्रियल और एग्रीकल्चरल कंजम्शन में 40 प्रतिशत और 20 प्रतिशत लोड है, जबकि कमर्शियल इलेक्ट्रिसिटी की खपत में 8 प्रतिशत की मांग है। इसलिए, सैद्धांतिक रूप से, यदि केवल लाइट लोड कम हो जाता है, तो ग्रिड फ्रीक्वेंसी पर इसका बड़ा प्रभाव नहीं होना चाहिए।

मिनिस्ट्री ऑफ पावर ने आशंकाओं को गलत बताया
मिनिस्ट्री ऑफ पावर ने भी ग्रिड क्रैश होने की आशंकाओं को गलत बताया है। मिनिस्ट्री ऑफ पावर ने कहा, पीएम ने सिर्फ लाइट बंद करने की अपील की है। स्ट्रीट लाइट और कम्प्यूटर, टीवी, फैन, रेफ्रीजिरेटर और एयर कंडीशनर को बंद करने की अपील नहीं की गई। वहीं अस्पतालों के साथ ही सभी जरूरी सुविधा वाली जगहों जैसे, पब्लिक यूटिलिटी, निगम सेवाएं, कार्यालय, पुलिस स्टेशन आदि की लाइटें चालू रहेंगी। पीएम ने सिर्फ घरों की लाइट बंद करने की अपील की है। मिनिस्ट्री ऑफ पावर ने कहा, नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर ने ग्रिड बैलेंसिंग की प्रक्रियाओं को लेकर वर्कआउट कर लिया है। लोग किसी तरह की चिंता न करें। लाइटें बंद करने के दौरान भी इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंसेज ऑन रखें।

क्या कहा MPPTCL के प्रबंध संचालक ने?
मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड के प्रबंध संचालक पी आर बेंडे ने कहा, "प्रदेश में इसकी पूरी व्यवस्था कर ली गई है। किसी तरह की कोई समस्या नहीं आएगी।" उन्होंने कहा "लोड जाने और आने को मैनेज करने का काम रोजाना किया जाता है। रात 9 बजे जो भी लोड जाएगा और वापस लोड आएगा उसे किस तरह से मैनेज करना है उसकी व्यवस्था कर ली गई है। एनएमडीसी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर भी इसकी चर्चा की गई है। 

लाइट बंद होना देश में पहली बार नहीं
बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि देश में "बत्तियां बंद" हो रही हैं। "अर्थ आवर" जैसी पहल में इस प्रकार के कदम उठाए गए हैं। देश में 2012 में तकनीकी कारणों से ग्रिड ठप हुआ था। हालांकि भारत में इस समय में मजबूत नेटवर्क है जो बिजली मांग में उतार-चढ़ाव से निपटने में सक्षम है।

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