राहुल के 'न्याय' पर टिप्पणी कर फंसे नीति आयोग उपाध्यक्ष, EC ने भेजा नोटिस

राहुल के 'न्याय' पर टिप्पणी कर फंसे नीति आयोग उपाध्यक्ष, EC ने भेजा नोटिस

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-27 08:54 GMT
राहुल के 'न्याय' पर टिप्पणी कर फंसे नीति आयोग उपाध्यक्ष, EC ने भेजा नोटिस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की न्याय योजना पर सवाल उठाना भारी पड़ गया। उपाध्यक्ष राजीव कुमार की प्रतिक्रिया को लेकर चुनाव आयोग ने नोटिस भेजा है। जिसमें उनके बयान को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी गई है। राजीव कुमार ने कांग्रेस पार्टी की ओर से घोषित न्यूनतम आय के चुनावी वादे की आलोचना करते हुए इसे अर्थव्यवस्था के लिये नुकसानदायक बताया था। उन्होंने ये भी कहा था कि, ये योजना कभी लागू नहीं होगी।

आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में राजीव कुमार
जानकारी के मुताबिक, चुनाव आयोग ने राजीव कुमार की इस प्रतिक्रिया को आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए इस मामले पर संज्ञान लिया है। आयोग ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष को "कार्यपालिक के अधिकारी" की श्रेणी में होने के कारण उनकी प्रतिक्रिया को आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में रखा है। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने इस मामले पर संज्ञान लिये जाने के पीछे दलील दी है कि, यह एक राजनीतिक दल के दूसरे राजनीतिक दल पर या एक नेता के दूसरे पर हमले का मामला नहीं है।

स्कीम लागू होने से हम चार कदम पीछे चले जाएंगे
कांग्रेस की न्यूनतम आय गारंटी योजना को लेकर राजीव कुमार ने कहा था, ये पुराना तरीका है, जो कांग्रेस फॉलो कर रही है। वो चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कह और कर सकते हैं। उन्होंने कहा था, 2008 में चिंदबरम वित्तीय घाटे को 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी तक ले गए। यह घोषणा उसी पैटर्न पर आगे बढ़ने जैसा है। राहुल गांधी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले इसके प्रभाव की चिंता किए बिना घोषणा कर बैठे। अगर यह स्कीम लागू होती है तो हम चार कदम और पीछे चले जाएंगे।

काम नहीं करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा
राजीव कुमार ने यह भी कहा था, इससे ऐसा हो सकता है कि वित्तीय घाटा 3.5 फीसदी से बढ़कर 6 फीसदी तक हो जाए। क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां हमारी रेटिंग घटा दें। हमें बाहर से लोन न मिले। इसका नतीजा यह होगा कि लोग हमारे यहां निवेश करना रोक देंगे। उन्होंने कहा था, पांच करोड़ गरीब परिवारों को न्यूनतम आय गारंटी के तहत सालाना 72,000 रुपये देने के वादे से राजकोषीय अनुशासन धराशायी हो जायेगा और इस योजना से एक तरह से काम नहीं करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा।

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