झारखंड में तबाही मचा रहे हैं हाथी, एक हफ्ते में ली 7 लोगों की जान

हाथियों का कहर झारखंड में तबाही मचा रहे हैं हाथी, एक हफ्ते में ली 7 लोगों की जान

IANS News
Update: 2021-10-15 09:00 GMT
झारखंड में तबाही मचा रहे हैं हाथी, एक हफ्ते में ली 7 लोगों की जान

डिजिटल डेस्क, रांची। प्राकृतिक रिहाइश प्रभावित होने से गुस्साये हाथी झारखंड में तबाही मचा रहे हैं। एक हफ्ते के भीतर हाथियों ने सात लोगों को कुचलकर मार डाला है, जबकि दो दर्जन से ज्यादा लोग इनके हमलों में जख्मी हो गये हैं। ताजा घटना में गुरुवार की रात गिरिडीह जिले के सरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत अंबाडीह गांव हाथियों ने दो ग्रामीणों को कुचलकर मार डाला है। ग्रामीणों के अनुसार, रात आठ बजे के आसपास तीन हाथी गांव में घुस आये। अंबेडकर चौक के पास से गुजर रहे दो ग्रामीणों रोहित दास और सिकंदर दास को हाथियों ने कुचल डाला। एक की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी, जबकि दूसरे ने अस्पताल जाते हुए दम तोड़ा। हाथियों के हमले में एक बच्चा भी गंभीर रूप से घायल है। इधर वन विभाग के अफसर मौके पर पहुंचे हैं।

हाथियों का उत्पात हजारीबाग, गिरिडीह, खूंटी और संथाल परगना के जिलों में सबसे ज्यादा है। हजारीबाग शहर से सटे दारू कस्बे में बीते मंगलवार को दुर्गा पूजा मेले में पास स्थित जंगल से निकलकर एक हाथी पहुंचा तो भगदड़ मच गयी। इस दौरान 20 से ज्यादा लोग जख्मी हो गये। गंभीर रूप से जख्मी दो ग्रामीणों को हजारीबाग के अस्पताल में दाखिल कराया गया है। हजारीबाग से ही सटे डेमोटांड़ के बिरहोर टोले में बीते 11 अक्टूबर की रात घुस आये एक हाथी ने आदिम बिरहोर जनजाति के एक दंपति पर हमला कर दिया, जिसमें महावीर बिरहोर ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि उसकी पत्नी सोमरी बिरहोरिन बुरी तरह घायल है। इसके बाद गुस्साये हाथी ने पास के तुराओ गांव में एक ग्रामीण राम प्रसाद को कुचलकर मार डाला। इसी जिले के कटकमदाग प्रखंड के सिरसी गांव में 10 अक्टूबर को विशुन रविदास और अडेरा पंचायत के कूबा गांव की महिला कृति कुजूर को हाथी ने मार डाला था। चुरचू प्रखंड के चीची की महिला सबुतरी देवी को भी 10 अक्टूबर की रात ही हाथियों ने कुचल डाला था।

हाथियों के संरक्षण पर काम करने वाले रांची के जीव विज्ञानी डॉ. तनवीर अहमद के मुताबिक झारखंड में पिछले 11 साल में 800 लोगों की मौत हाथियों के कारण हो चुकी है। उनका कहना है कि विकास योजनाओं के क्रम में पेड़ों की लगातार कटाई की वजह से हाथियों की प्राकृतिक रिहाइश प्रभावित हुई है। हाथियों के आने-जाने का रास्ता भी निश्चित कॉरिडोर से होता है। सड़क एवं दूसरे निर्माण कार्य से उनका रास्ता भी बाधित हुआ है। इन्हीं वजहों से हाथी हमलावर हुए हैं।

(आईएएनएस)

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