भारत और पाक के सैनिक पहली बार कर रहे संयुक्त अभ्यास

भारत और पाक के सैनिक पहली बार कर रहे संयुक्त अभ्यास

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-25 15:59 GMT
भारत और पाक के सैनिक पहली बार कर रहे संयुक्त अभ्यास
हाईलाइट
  • भारत और पाकिस्तान के सैनिक एक संयुक्त सैन्याभ्यास में हिस्सा ले रही हैं।
  • यह पहला मौका है
  • जब दोनों सेनाएं एक साथ किसी मिलिट्री एक्सरसाइज में हिस्सा ले रही हैं।
  • यह रूस की जमीन पर मुमकिन हो रहा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आजादी के बाद से अब तक हमेशा ही भारत और पाकिस्तान के सैनिकों को एक-दूसरे के खिलाफ गोली दागने ही सुना गया है। मगर अब दोनों देश के सैनिक एक संयुक्त सैन्याभ्यास में हिस्सा ले रही हैं। यह पहला मौका है, जब भारत और पाकिस्तान की सेनाएं एक साथ किसी मिलिट्री एक्सरसाइज में हिस्सा ले रही हैं। यह रूस की जमीन पर मुमकिन हो रहा है।

जानकारी के अनुसार रूस में शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन के तत्वावधान में ऐसा होगा। शुक्रवार को रूस के चेल्याबिन्स्क क्षेत्र के चेब्राकुल में "शांति मिशन 2018" के बैनर तले यह अभ्यास शुरू हुआ। इसमें चीन और रूस समेत शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन में शामिल सभी देश हिस्सा ले रहे हैं। भारत और पाकिस्तान भी चीन के प्रभाव वाले इस संगठन का हिस्सा हैं।

एक अधिकारी ने कहा, "ऐसे किसी भी बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सैनिकों ने हिस्सा नहीं लिया है, जिसमें पाकिस्तान शामिल रहा हो। हालांकि यूएन के मिशनों में भारत और पाकिस्तान के सैनिक साथ काम करते रहे हैं।"

सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा, "इस अभ्यास से शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन में शामिल देशों को आतंकरोधी ऑपरेशंस के लिए प्रशिक्षण मिल सकेगा। इस प्रशिक्षण के दौरान सेनाओं के बीच पेशेवर बातचीत, ऑपरेशंस में आपसी समझदारी और प्रक्रिया, जॉइंट कमांड की स्थापना और कंट्रोल स्ट्रक्चर्स और आतंकी खतरों से निपटने को लेकर मॉक ड्रिल जैसे अभ्यास होंगे।"

इस अभ्यास में भारत ने अपने 200 सैनिक भेजे हैं। भारत की ओर से भेजे गए सैनिकों में राजूपत रेजिमेंट और एयरफोर्स के जवान शामिल हैं। वहीं मेजबान रूस ने 1,700 और चीन ने अपने 700 सैनिकों को इस अभ्यास में उतारा है। शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की स्थापना 2001 में हुई थी। तब चीन, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान इसमें शामिल थे। अब इस समूह के 8 देश पूर्ण सदस्य हैं। इनमें भारत, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान भी शामिल हैं। इसके अलावा 4 देशों को ऑब्जर्वर और 6 देशों को डायलॉग पार्टनर का दर्जा दिया गया है।

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