कश्मीर में विपक्षी राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर प्रति वर्ष 78 करोड़ रुपये खर्च रही सरकार (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

कश्मीर में विपक्षी राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर प्रति वर्ष 78 करोड़ रुपये खर्च रही सरकार (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

IANS News
Update: 2020-05-18 18:00 GMT
कश्मीर में विपक्षी राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर प्रति वर्ष 78 करोड़ रुपये खर्च रही सरकार (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

नई दिल्ली, 18 मई (आईएएनएस)। केंद्र में रही पहले की सरकारों की नीति को जारी रखते हुए मोदी सरकार कश्मीर में विपक्षी दलों के राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए प्रति वर्ष 78 करोड़ रुपये का भुगतान करती है।

पिछले 30 वर्षों में केंद्र सरकार ने सुरक्षा संबंधी खर्च के तहत कश्मीर की तीन मुख्यधारा की पार्टियों पर 2,340 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

यह चौंकाने वाला खुलासा सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के जरिए हुआ है। रिकंसिलिएशन रिटर्न एंड रिहेबिलिटेशन माइग्रैंट्स (आरआरआरएम) नामक संगठन के अध्यक्ष सतीश महालदर द्वारा आरटीआई से प्राप्त सरकारी दस्तावेजों के आधार पर यह जानकारी मिली है।

इस 26 पन्नों के दस्तावेज के मुताबिक, जम्मू स्थित राहत एवं पुनर्वास आयुक्त कार्यालय (आरआरसीओ) में 5,000 राजनीतिक कार्यकर्ता पंजीकृत हैं। इस दस्तावेज की एक प्रति आईएएनएस के पास भी है।

आरआरसीओ एक ही सरकारी निकाय है, जिसके साथ विस्थापित कश्मीरियों को पंजीकृत किया जाता है और उन्हें राहत दी जाती है। कश्मीर से विस्थापित सदस्यों में से अधिकांश पंडित, धार्मिक-जातीय अल्पसंख्यक हैं, जिन्हें 1990 में इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा घाटी में निशाना बनाया गया था।

महालदर ने एक बयान में कहा कि दस्तावेजों से पता चलता है कि आरआरसीओ जम्मू, दो क्षेत्रीय दलों नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ ही एक राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को भुगतान कर रहा है। प्रत्येक राजनीतिक कार्यकर्ता को प्रति माह 13,000 रुपये मिलते हैं।

उन्होंने कहा कि यह घोटाला पहली बार 2013 में सामने आया था और उस समय संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया था।

उन्होंने कहा, फरवरी 2020 में हमने फिर से जांच की और पाया कि नाम अभी भी मौजूद हैं और हमेशा की तरह भुगतान किया जा रहा है।

महालदर ने कहा कि एनसी, पीडीपी और कांग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं को भुगतान किया जा रहा है, भले ही वे कश्मीर में अपने घरों में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि जबरन विस्थापित कश्मीरी पंडितों की तरह सताए गए लोगों का दावा करते हुए ये रुपये उन्हें दिए जा रहे हैं।

इसे विडंबनापूर्ण करार देते हुए महलदार ने कहा, हमने आतंकवाद और उत्पीड़न के कारण हमारे घरों और जमीनों को खो दिया और अब हमारे लिए जो राहत है, वह भी हड़पी जा रही है।

उन्होंने सभी राजनीतिक दलों का एक दूसरे के साथ सांठगांठ होने का भी आरोप लगाया।

महलदार ने कहा, बजट और कागजात में सरकार दिखाती है कि वह पूरी राशि कश्मीरी पंडितों के राहत और पुनर्वास पर खर्च कर रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि पिछले 30 वर्षों से समुदाय को धोखा दिया गया है, जिसमें पिछले छह साल का भाजपा शासन भी शामिल है।

उन्होंने कहा, प्रवासियों के नाम पर कई लोग कश्मीर में सरकार को लूट रहे हैं।

सरकार पर निशाना साधते हुए महलदार ने कहा, पहले के शासन में कश्मीरी पंडितों का अपने कार्यकर्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए शोषण किया जाता रहा, मगर अब तो पिछले छह वर्षों से सत्ता में भाजपा है, फिर अब भाजपा सरकार का क्या बहाना है? कैसे?

उन्होंने कहा, क्या वे इसे अपनी नाक के नीचे जारी रख सकते हैं?

उन्होंने कहा कि एक तरफ तो भाजपा का कहना है कि एनसी, पीडीपी और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन दूसरी तरफ वे आधिकारिक तौर पर विपक्षी राजनीतिक दलों के लिए पैसे दे रहे हैं, जिन पर वे अक्सर देश विरोधी एजेंडा चलाने का आरोप लगाते रहते हैं।

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