विवादों के बीच भारत ने फ्रांस सरकार को चुकाई राफेल सौदे की 25 प्रतिशत राशि

विवादों के बीच भारत ने फ्रांस सरकार को चुकाई राफेल सौदे की 25 प्रतिशत राशि

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-27 19:00 GMT
हाईलाइट
  • इस बीच सरकार ने राफेल डील की 25 प्रतिशत राशि का भुगतान फ्रेंच सरकार को कर दिया है।
  • एयरफोर्स को पहला राफेल जेट समयानुसार सितंबर 2019 में मिल जाएगा
  • देशभर में राफेल जेट सौदे को लेकर घमासान मचा हुआ है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में राफेल जेट सौदे को लेकर घमासान मचा हुआ है। विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है। इस बीच एयर फोर्स के सूत्रों ने बताया है कि सरकार ने राफेल सौदे में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए 59,000 करोड़ से ज्यादा की राफेल डील की 25 प्रतिशत राशि का भुगतान फ्रेंच सरकार को कर दिया है। सूत्रों ने यह भी बताया कि एयरफोर्स को पहला राफेल जेट समयानुसार सितंबर 2019 में मिल जाएगा लेकिन इससे पहले राफेल विमानों को भारतीय वायुसेना के अधिकारियों की गहन टेस्टिंग से गुजरना होगा।

सितंबर 2016 में हुए इस रक्षा समझौते में ही इस बात पर दोनों पक्ष एकमत हुए थे कि फ्रांस में बनने वाले इन विमानों को भारतीय आसमान में उड़ाने और वायुसेना की जरूरतों के अनुरूप तैयार किया जाएगा। ये डील यूरोप की मुद्रा 7.9 बिलियन यूरो में हुई थी, भारतीय मुद्रा में ये करीब 59 हजार करोड़ होता है। सूत्र बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट के नियम और शर्तों के तहत भारत सरकार को 25 प्रतिशत राशि का भुगतान राफेल विमान की पहली डिलीवरी से पहले करना था। ये राशि फ्रेंच सरकार को इसलिए दी जा रही है क्योंकि ये करार में यह बात स्पष्ट रूप से कही गई थी कि राफेल के लिए दी जाने वाली राशि का भुगतान सरकार द्वारा सरकार को किया जाएगा।

क्या है राफेल डील? 
भारत ने 2010 में फ्रांस के साथ राफेल फाइटर जेट खरीदने की डील की थी। उस वक्त यूपीए की सरकार थी और 126 फाइटर जेट पर सहमित बनी थी। इस डील पर 2012 से लेकर 2015 तक सिर्फ बातचीत ही चलती रही। इस डील में 126 राफेल जेट खरीदने की बात चल रही थी और ये तय हुआ था कि 18 प्लेन भारत खरीदेगा, जबकि 108 जेट बेंगलुरु के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में असेंबल होंगे यानी इसे भारत में ही बनाया जाएगा। फिर अप्रैल 2015 में मोदी सरकार ने पेरिस में ये घोषणा की कि हम 126 राफेल फाइटर जेट को खरीदने की डील कैंसिल कर रहे हैं और इसके बदले 36 प्लेन सीधे फ्रांस से ही खरीद रहे हैं।

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