नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने SIT को लगाई फटकार

नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने SIT को लगाई फटकार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-22 03:44 GMT
नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने SIT को लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 नरोदा पाटिया नरसंहार मामलों की जांच करने वाले जांच दल (एसआईटी) को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि SIT जांच में कई खामियां थीं। न्यायमूर्ति हर्षा देवानी और न्यायमूर्ति एएस सुपेहिया की खंडपीठ ने यह भी कहा कि एसआईटी ने जो जांच की है उस पर अधिक भरोसा नहीं किया जा सकता है। एसआईटी का गठन वर्ष 2008 में सु्प्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया गया था। 


बता दें कि हाईकोर्ट ने एक दिन पहले बीजेपी सरकार में पूर्व मंत्री माया कोडनानी समेत 17 अन्य को बरी कर दिया था। वहीं बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी समेत 13 लोगों की दोषी करार दिया गया था। वहीं निचली अदालत से बरी किए गए तीन अन्य लोगों को भी हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया। कोडनानी को वर्ष 2008 में एसआईटी ने ही पहली बार आरोपी बनाया था। नरोदा पाटिया दंगा मामले में भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी थी।  


हाईकोर्ट ने कोडनानी को बरी करते हुए कहा कि उनकी भूमिका को लेकर गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह ने यह उल्लेख नहीं किया कि उन्होंने उनसे प्रासंगिक समय पर बात की। अदालत ने कहा कि वह गवाहों के विरोधाभासी बयानों पर विश्वास करना जोखिम भरा है और इसलिए कोडनानी को लेकर गवाहों की गवाही को स्वीकार नहीं किया जाता है। हाईकोर्ट ने कहा कि कोडनानी को संदेह का लाभ दिया जाता है, क्योंकि उन्हें पहली बार 2008 में एसआईटी ने आरोपी बनाया जबकि मूल प्राथमिकी में उनका नाम नहीं था। 

 
विशेष एसआईटी अदालत ने अगस्त 2012 में मामले के 61 आरोपियों में से 32 दोषियों को दोषी ठहराया था और 29 को बरी कर दिया था। हाईकोर्ट ने 32 में से 18 को बरी कर दिया है और 13 को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई। खंडपीठ ने कहा कि पहली बार दोषी ठहराये गए तीन व्यक्तियों को सजा नौ मई को सुनायी जाएगी। 

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