लद्दाख: लेफ्टिनेंट जनरल लेवल पर बातचीत में भारत की दो टूक, अप्रैल वाली पोजीशन पर लौटे चीनी सेना 

लद्दाख: लेफ्टिनेंट जनरल लेवल पर बातचीत में भारत की दो टूक, अप्रैल वाली पोजीशन पर लौटे चीनी सेना 

Bhaskar Hindi
Update: 2020-06-06 16:28 GMT
लद्दाख: लेफ्टिनेंट जनरल लेवल पर बातचीत में भारत की दो टूक, अप्रैल वाली पोजीशन पर लौटे चीनी सेना 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में महीने भर से भारत-चीन के बीच जारी सीमा पर तनाव के को लेकर शनिवार को दोनों पक्षों की तरफ से लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत हुई। इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जबकि तिब्बत सैन्य जिला कमांडर ने चीन का पक्ष रखा। इस मीटिंग को लेकर  फिलहाल आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई, लेकिन सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि दोनों देशों के बीच आगे भी ऐसी वार्ता होगी। बता दें कि इससे पहले भी सात बार मिलिट्री लेवल बातचीत दोनों देशों के बीच हो चुकी है। चार बार ब्रिगेडियर और तीन बार मेजर जनरल रैंक ऑफिसर के साथ ये बातचीत बेनतीजा निकली।

वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक में पैंगोंग सो लेक, फिंगर फोर और फिंगर फाइव में चीन के बढ़ते दबाव और एक्स्ट्रा तैनाती के साथ चीन ने जो टेंट और कैंप के साथ परमानेंट स्ट्रक्चर बनाया है उसके बारे में बातचीत की गई। इसमें भारत ने दो टूक कहा है कि चीनी सेना अप्रैल 2020 वाली स्थिति पर लौट जाए। इस पर चीनी की ओर से एलएसी के पास भारत की ओर से बनाई गई सड़क पर अपत्ति जताई गई। इस भारत ने कहा कि  ये एलएसी पर भारत की सीमा के अंदर है इसलिए चीन का इस पर कोई भी हस्तक्षेप नहीं बनता।

जानकारी अनुसार मीटिंग की ब्रीफिंग डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन और भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को दी जाएगी। यही जानकारी विदेश मंत्रालय के साथ NSA अजित डोभाल और प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी जाएगी। 

आगे भी होंगी बैठकें
भारतीय सेना के औपचारिक बयान के अनुसार किसी भी तरह की अटकलें बिलकुल गलत होंगी और दोनों देश मिलिट्री और डिप्लोमेटिक तरीके से विवाद को पूरी तरह से सुलझा सकते हैं। इसके लिए और भी बैठकें की जाएंगी। आज की बैठक पॉजिटिव नोट पर खत्म हुई है, लेकिन अभी भी बातचीत की जाएगी ताकि लद्दाख में LAC पर चीन के दबदबे को कम करते हुए तनाव को खत्म किया जा सके।

मीडिया को दी दूर रहने की सलाह
भारतीय सेना के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और चीन के अधिकारी भारत-चीन सीमावर्ती इलाकों में बने वर्तमान हालात के मद्देनजर स्थापित सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों के जरिए एक-दूसरे के लगातार संपर्क में बने हुए हैं। इस स्तर पर इन संवादों के बारे में किसी भी तरह की कयासों के आधार पर की गई अप्रामाणिक रिपोर्टिंग मददगार नहीं होगी और मीडिया को सलाह दी जाती है कि वह इस तरह की रिपोर्टिंग से बचे।

तीन से चार स्थानों पर तैनात हैं दोनों देशों की सेनाएं
दोनों ओर से सेना तैनात हैं और ऐसे तीन से चार स्थान हैं, जहां पांच मई से ही दोनों ओर के सुरक्षाबल आमने-सामने हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दोनों पक्षों ने चार स्थानों पर 1000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है। भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र और गलवान घाटी क्षेत्र में कड़ी निगरानी बनाए हुए है। इस क्षेत्र में चीन ने भी तैनाती बढ़ाई हुई है। पैंगोंग त्सो के अलावा ट्रिग हाइट्स, डेमचोक और चुमार ऐसे क्षेत्र हैं जो बेहद संवेदनशील हैं।

5 और 6 मई को सैनिकों के बीच हुई थी झड़प
उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में पांच व छह मई को भारत व चीनी सेना के बीच झपड़ हो गई थी। दोनों सेनाओं के बीच पांच मई को तनाव बढ़ा था और छह मई की सुबह तक दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं। इस झड़प के दौरान दोनों पक्षों के सैनिकों के घायल होने की खबरें भी आई थीं। सूत्रों ने कहा कि चीन की ओर से बड़े पैमाने पर सैन्य टुकड़ी का गठन किया गया है, जो गतिरोध वाली जगह से बहुत दूर नहीं है।यह भी देखा गया कि चीन द्वारा पैंगोंग झील में गश्त बढ़ाई जा रही है। उन्होंने नावों की संख्या भी बढ़ा दी है।

क्षेत्र में सड़क निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास से दोनों देश आमने-सामने
भारतीय की ओर से क्षेत्र में सड़क निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास से दोनों देश आमने-सामने आ गए हैं। भारत की ओर से किए जा रहे निर्माण से चीन को आपत्ति है। हालांकि भारतीय सेना ने यह सुनिश्चित किया है कि पैंगोंग झील पर कोई निरंतर तौर पर आमना-सामना नहीं हो रहा है और क्षेत्र में सशस्त्र सैनिकों की तैनाती नहीं की गई है। शुक्रवार को भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने लद्दाख में 14 कोर मुख्यालय, लेह का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने एलएसी पर सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर समीक्षा भी की थी।

 

 

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