भारत बंद: गुरुग्राम में खास प्रभाव नहीं, आशा वर्कर्स ने किया समर्थन

भारत बंद: गुरुग्राम में खास प्रभाव नहीं, आशा वर्कर्स ने किया समर्थन

IANS News
Update: 2020-09-25 15:00 GMT
भारत बंद: गुरुग्राम में खास प्रभाव नहीं, आशा वर्कर्स ने किया समर्थन
हाईलाइट
  • भारत बंद: गुरुग्राम में खास प्रभाव नहीं
  • आशा वर्कर्स ने किया समर्थन

गुरुग्राम, 25 सितंबर (आईएएनएस)। हरियाणा के अन्य हिस्सों में जहां किसानों ने कृषि विधेयकों के पारित होने के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया, वहीं इस विरोध प्रदर्शन का गुरुग्राम जिले में कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं देखा गया। हालांकि, आशा और आंगनवाड़ी वर्कर्स और ट्रेड यूनियंस के सदस्यों ने भारत बंद को अपना समर्थन दिया।

गुरुग्राम में बहुत कम किसान हैं और उनमें से भी कई ने भारत बंद को लेकर हल्की प्रतिक्रिया दी।

जिले में कृषि विधेयकों का विरोध करने को लेकर कोई किसान यूनियन आगे आता नजर नहीं आया।

इलाके व आसपास के स्थानों से केवल कुछ एक विरोध और प्रदर्शनों की सूचना मिली।

कथित तौर पर रेवाड़ी में करीब 50 लोग अनाज बाजार में एकत्र हुए और बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और डिप्टी कमिश्नर के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा।

इस बीच गुरुग्राम में आशा और आंगनवाड़ी वर्कर्स और ट्रेड यूनियंस के सदस्यों ने भारत बंद को अपना समर्थन दिया, लेकिन किसान संघ का कोई भी व्यक्ति विधेयकों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए आगे नहीं आया।

कुछ आशा और आंगनवाड़ी वर्कर्स और ट्रेड यूनियन के संदस्यों को किसानों के समर्थन में मार्च निकालते देखा गया।

जिले के सदर बाजार इलाके में आशा वर्कर्स और अन्य लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।

एक किसान नेता ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा, दक्षिण हरियाणा में इन विधेयकों के खिलाफ किसानों की अनुपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि वे उनके खिलाफ नहीं हैं। कुछ लोग विपक्ष में हैं और कुछ बिल का समर्थन कर रहे हैं।

नेता ने कहा, दरअसल, दक्षिण हरियाणा में किसानों का कोई संगठित संघ नहीं है, जिसके कारण यहां के किसान एकजुट नहीं हैं।

उन्होंने आगे कहा, एक और कारण यह है कि दक्षिण हरियाणा में अधिकांश विधायक भाजपा के हैं और राज्य में भाजपा की सरकार है।

उन्होंने आगे कहा, हरियाणा में हमेशा जाट और गैर-जाट राजनीति होती रही है, इसलिए भी दक्षिण हरियाणा के लोग गैर जाट मुख्यमंत्री सरकार के खास विरोधी नहीं हैं।

इसके अलावा दक्षिण हरियाणा में गुरुग्राम और फरीदाबाद को औद्योगिक जिले के रूप में जाना जाता है, जबकि रेवाड़ी जिले में बावल भी एक औद्योगिक क्षेत्र है। इन तीन जिलों में, वाणिज्यिक और आवासीय प्रयोजनों के लिए बिल्डरों द्वारा बड़ी संख्या में किसानों की जमीन खरीदी गई थी। इसलिए इन जिलों में खेती कम हुई है।

दूसरी ओर किसान नेता मान सिंह ने कहा कि वह इन विधेयकों का समर्थन करते हैं, इसलिए इसे लेकर कोई विरोध नहीं है।

सिंह ने आगे कहा, दक्षिण हरियाणा में पानी की सबसे बड़ी समस्या है, इसलिए यहां के किसान पारंपरिक खेती कर रहे हैं और बहुत ज्यादा प्रयोग नहीं कर रहे हैं, इसलिए ज्यादा विरोध नहीं है।

यहां के मजदूर किसानों का समर्थन करते हैं।

एक मजदूर, जांघू ने कहा, हम मार्च में हिस्सा ले रहे हैं, क्योंकि एक औद्योगिक शहर होने के नाते यहां कई मजदूर हैं, जो किसानों के बेटे हैं, इसलिए हम किसानों के आंदोलन के समर्थन में हैं।

एमएनएस/एएनएम

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