भारत की रूस के साथ न्यूक्लियर सबमरीन डील, यूएस प्रतिबंधों का बढ़ा खतरा

भारत की रूस के साथ न्यूक्लियर सबमरीन डील, यूएस प्रतिबंधों का बढ़ा खतरा

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-07 19:00 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे के बावजूद गुरुवार को रूस के साथ न्यूक्लियर सबमरीन की मेगा डिफेंस डील की है। ये डील 3 बिलियन डॉलर (लगभग 21,000 करोड़ रुपये) से ज्यादा की है। पिछले साल अक्टूबर में एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए रूस से 5.5 अरब के कॉन्ट्रैक्ट के बाद यह सबसे बड़ी डील है। ये डील ऐसे वक्त में हो रही है जब भारत-पाकिस्तान के बीच पुलवामा आतंकी हमले को लेकर तनाव बना हुआ है।

रक्षा सूत्रों ने कहा कि अकुला -1 श्रेणी की न्यूक्लियर सबमरीन रूस के शिपयार्ड में 2025 तक बनकर तैयार होगी। 21,000 करोड़ रुपये के सौदे में ये सबमरीन 10 साल के लिए भारत को लीज पर मिलेगी। इसमें स्पेयर पार्ट, ट्रेनिंग और ऑपरेशन के लिए टक्निकल इंफ्रास्ट्रकचर भी शामिल है। इस सबमरीन में स्वदेशी सिस्टम भी लगाए जाएंगे। यह सबमरीन आईएनएस चक्र II की जगह लेगी जो कि अकुला क्लास की ही सबमरीन है। इस सौदे के लिए रूस के साथ 2013 से बातचीत चल रही थी। रूस से भारत को मिलने वाली यह तीसरी न्यूक्लियर सबमरीन होगी।

भारत को पहली बार 1988 में रूस ने तीन साल के लिए अकुला क्लास की पहली न्यूक्लियर सबमरीन लीज पर दी थी। इस सबमरीन का नाम आईएनएस चक्र I था। इसके बाद अप्रैल 2012 में भारत ने रूस के साथ अकुला क्लास की ही सबमरीन की दूसरी डील की। यह डील भी 10 साल के लिए थी। 2004 में इस डील को फाइनल किया गया था। ये डील करीब 900 मिलियन डॉलर में फाइनल हुई थी।

एक सूत्र ने कहा, आईएनएस चक्र II की मौजूदा लीज को नई सबमरीन के आने  तक एक अन्य अनुबंध के माध्यम से कम से कम 2025 तक बढ़ाया जाएगा। बता दें कि दुश्मन की नजरों से छिपने और प्रहार करने की क्षमता के मामले में अकुला क्लास सबमरीन से आगे केवल अमेरिकी न्यूक्लियर पनडुब्बियां ही हैं।

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