रक्षा बजट के लिए सेना से कम किए जा सकते हैं डेढ़ लाख सैनिक, सेना प्रमुख की अहम बैठक आज

रक्षा बजट के लिए सेना से कम किए जा सकते हैं डेढ़ लाख सैनिक, सेना प्रमुख की अहम बैठक आज

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-11 03:34 GMT
रक्षा बजट के लिए सेना से कम किए जा सकते हैं डेढ़ लाख सैनिक, सेना प्रमुख की अहम बैठक आज
हाईलाइट
  • करीब डेढ़ लाख सैनिकों को कम करने के लिए सैन्य अधिकारियों के साथ होगी चर्चा
  • रक्षा मंत्रालय को सौंपी जाने वाली ‘रिस्ट्रक्चरिंग’ की रिपोर्ट पर होगी अहम चर्चा
  • सेना प्रमुख बिपिन रावत की दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक अहम बैठक आज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। करीब 12.6 लाख सैनिकों वाली भारतीय सेना में से करीब डेढ़ लाख सैनिकों को कम करने के लिए आज अहम बैठक होगी। सेना प्रमुख बिपिन रावत दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक में सात वरिष्ठ सैन्य कमांडर्स के साथ ये अहम बैठक करेंगे, जहां 12.6 लाख सैनिकों वाली सेना को थोड़ा छोटा किए जाने पर चर्चा की जाएगी। सेना प्रमुख इस पर सभी की राय जाना चाहते हैं।

 

दरअसल सेना के वरिष्ठ सैन्य कमांडर्स का मानना है कि रक्षा बजट का करीब 83 प्रतिशत हिस्सा सैनिकों की सैलरी में खर्च हो जाता है और हथियार और दूसरे सैन्य साजों-सामान के लिए थलसेना के पास 17 प्रतिशत हिस्सा ही रह जाता है, इसलिए इस तरह का कदम उठाया जा रहा है।सेना उन्हीं अंगों को कम करेगी जो टेल का काम करते हैं, जैसे आर्मी-फार्म्स या फिर सेवादारी सिस्टम। सेना के वो विंग जो सीधे युद्ध से जुड़े हुए हैं उन्हें कम नहीं किया जाएगा।इनमें से कुछ रिपोर्ट्स को तो सीधे सेना लागू कर सकती है, लेकिन कुछ के लिए सेना को रक्षा मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी। उससे वायुसेना और नौसेना पर भी असर पड़ सकता है।

थल सेना के सैन्य अधिकाारियों को मनाना है कि रक्षा बजट का 65 प्रतिशत सैनिकों की सैलरी में खर्च हो और बाकी 35 प्रतिशत हथियार खरीदनें में हो। अगर सेना अगले चार-पांच सालों में डेढ़ लाख सैनिकों की कटौती करने में कामयाब हुई तो कम से कम 5-8 हजार करोड़ रुपए बचाया जा सकता है। जबकि तर्क ये भी है कि ये कटौती एकदम नहीं की जा सकती है। इसे धीरे धीरे किया जाएगा। हर साल करीब 60 हजार सैनिक रिटायर हो जाते हैं लेकिन फिर बड़ी तादाद में सैनिकों की भर्ती भी होती है। ऐसे में भर्ती को कम किया जाएगा, क्योंकि अब सेना के बहुत से ऐसे अंग हैं जो जरूरी नहीं रह गए हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कहा था कि सेनाओं को टेक्नोलोजी और ज्वाइंटनेस का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए ताकि सेना को ‘लीन एंड थिन’ बनाया जाए।

 

रक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी ‘रिस्ट्रक्चरिंग’ की रिपोर्ट
सेना प्रमुख को इस संबंध में आज ‘रिस्ट्रक्चरिंग’ की रिपोर्ट सौंपी जाएगी। जिसकी समीक्षा खुद सेना प्रमुख करेंगे। पुनर्गठन के लिए सेना प्रमुख ने चार स्टडी ग्रुप का गठन किया था, जिसमें एक-एक लेफ्टिनेंट जनरल की अध्यक्षता के नेतृत्व वाले ये स्टडी ग्रुप सेना की फील्ड फॉर्मेशन, सेना मुख्यालय, कैडर रिव्यू और जेसीओ रैंक के सैनिकों के काम करने के तरीकों से जुड़े हुए थे। माना जा रहा है कि जल्द ही ये चारों ग्रुप अपनी रिपोर्ट सेनाध्यक्ष को सौंप देंगे। अक्टूबर में सेना के आर्मी कमांडर्स कांफ्रेंस में इन सभी रिपोर्ट्स पर चर्चा होगी और फिर इन्हें रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इससे पहले आज यानी मंगलवार को सेना प्रमुख इस रिपोर्ट पर अपने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे।  

 

सबसे ज्यादा थल सेना का बजट
भारत की तीनों सेनाओं में सबसे ज्यादा रक्षा बजट थल सेना के हिस्से में आता है। रक्षा बजट का करीब 50 प्रतिशत थल सेना और शेष 50 प्रतिशत वायुसेना और नौसेना को मिलता है। इसके पीछे की वजह थल सेना का स्वरूप बाकी दोनों सेनाओं से बड़ा है इसलिए रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा सैनिकों की सैलरी और दूसरी जरूरतों पर खर्च हो जाता है। मात्र 17 प्रतिशत ही सेना के हथियारों और सैन्य साजों सामान के लिए मिल पाता है। अगर साल 2018-19 की बात करें तो थल सेना का बजट 2.95 लाख करोड़ था। जिसमें 1.50 लाख करोड़ थलसेना को मिला था। जिसमें से 25 हजार करोड़ रुपये सेना के लिए हथियारों को खरीदेने के लिए एक अलग कोष मे रखे गए थे। 

 

 

 

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