स्वदेशी असॉल्ट राइफल आर्मी के टेस्ट में लगातार दूसरी साल फेल
स्वदेशी असॉल्ट राइफल आर्मी के टेस्ट में लगातार दूसरी साल फेल
टीम डिजिटल, नई दिल्ली. असॉल्ट राइफल्स (स्वदेशी 7.62 x 51 mm राइफल एक्स-कैलिबर) को भारतीय सेना ने लगातार दूसरे साल बेसिक टेस्ट में फेल होने की वजह से रिजेक्ट कर दिया है. यह राइफल ऑर्डिनेंस फैक्टरी (OFB) में तैयार की जा रही थी, जिसे भारतीय सेना के लिए बनाया जा रहा था. यह मोदी सरकार के "मेक-इन-इंडिया" अभियान को भारतीय आर्मी का बड़ा झटका बताया जा रहा है.
मोदी सरकार के ''मेक इन इंडिया'' में रक्षा क्षेत्र को सक्षम और समृद्ध बनाने के लिए हथियारों का उत्पादन बढ़ाने पर था, ताकि इस मामले में हम वैश्विक स्तर पर मजबूत हो सकें. इसके तहत भारतीय कंपनियां विदेशी साझेदारों के साथ मिलकर देश में हथियारों, फाइटर जेट और सबमरीन निर्माण को मंजूरी दी थी. जबकि असॉल्ट राइफल का इस्तेमाल एके-47 और इंसास राइफल्स की जगह पर किया जाना था, जो जवानों द्वारा सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली राइफल है.
वर्तमान में जवानों द्वारा एके-47 और इंसास या फिर इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम राइफल्स उपयोग की जाती है. यह हथियार 1988 से सेना में शामिल है. सरकार इन पुरानी राइफल्स को हाई कैलिबर की खतरनाक असॉल्ट राइफल्स से इस साल रिप्लेस करना चाहती थी.
मीडिया में रिपोर्ट के अनुसार स्वेदशी असॉल्ट राइफल में फायरिंग के समय ज्यादा झटका देने, तेज फ्लैश और आवाज समेत कई दिक्कतें हैं, जो लड़ाई में इस्तेमाल के लिए ठीक नहीं है. एक निजी टीवी चैनल ने कहा कि “असॉल्ट राइफल को लोड करने में आसान बनाने के लिए मैगजीन को पूरी तरह से रिडिजाइन करने की जरुरत है. इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से भी इसमें कई खामियां हैं. असॉल्ट राइफल को दूसरी बार सेना की ओर से रिजेक्ट किया गया है.
गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने F-16 विमान बनाने के लिए भारतीय कंपनी टाटा समूह के साथ समझौता किया है. समझौते के तहत दोनों कंपनियां भारत में F-16 विमान का निर्माण करेंगी. इस समझौते को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए बड़ा समर्थन बताया जा रहा है.