ISRO जासूसी : सुप्रीम कोर्ट ने कहा वैज्ञानिक नारायणन को दें 50 लाख मुआवजा

ISRO जासूसी : सुप्रीम कोर्ट ने कहा वैज्ञानिक नारायणन को दें 50 लाख मुआवजा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-14 08:05 GMT
ISRO जासूसी : सुप्रीम कोर्ट ने कहा वैज्ञानिक नारायणन को दें 50 लाख मुआवजा
हाईलाइट
  • 24 साल पहले नंबी नारायणन पर लगे थे जासूसी के आरोप
  • केरल पुलिस के अधिकारियों की जांच के भी दिए आदेश
  • सुनवाई चीफ जस्टिस दीप मिश्रा की अध्यक्षता वाली बैंच कर रही थी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक एस नंबी नारायणन को 50 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर मिलेंगे। ये आदेश सुप्रीम कोर्ट ने 24 साल पहले नारायण पर लगे जासूसी के आरोप वाले केस में सुनाया है।

इस केस की सुनवाई एक विशेष बेंच कर रही थी, जिसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा कर रहे थे। बेंच ने कहा कि इस मामले में नारायणन को मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा। इससे उनकी प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा है, इसलिए उन्हें 50 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर दिए जाने चाहिए। इसके अलावा कोर्ट ने मामले की जांच करने वाले केरल पुलिस के अधिकारियों की जांच के लिए भी एक कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं। ये कमेटी रिटायर्ड जज डीके जैन की अध्यक्षता में बनाई जाएगी। 
 

 

 

बता दें कि ये मामला 1994 का है, जिसमें वैज्ञानिक नंबी नारायणन के अलावा डी शशिकुमारन को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस का दावा था कि दोनों ने पाकिस्तान को कुछ गुप्त दस्तावेज दिए हैं, जिनमें क्रायोजेनिक इंजन का जिक्र था। 20 दिन के अंदर ही केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था। सीबीआई ने कह था कि ये आरोप झूठे हैं। सीबीआई ने यह भी कहा था कि खुफिया ब्यूरो और पुलिस ने सही तरीके से काम नहीं किया। इसके बाद 1996 में तत्कालीन राज्य सरकार ने दोबारा जांच का आदेश दे दिया था। 1998 में इस मामले को रद्द कर दिया गया।

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