धार्मिक अधिकार मौलिक अधिकारों का हिस्सा, समझौता नहीं : जमीयत

धार्मिक अधिकार मौलिक अधिकारों का हिस्सा, समझौता नहीं : जमीयत

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-24 03:50 GMT
धार्मिक अधिकार मौलिक अधिकारों का हिस्सा, समझौता नहीं : जमीयत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के जजों की बेंच ने 3-2 के बहुमत से "ट्रिपल तलाक" को "असंवैधानिक" बताया था। इसके बाद प्रमुख मु्स्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने SC के इस फैसले को शरियत के खिलाफ बताया है। बुधवार को हुई बैठक के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, "भारतीय संविधान के मुताबिक धार्मिक अधिकार मौलिक अधिकारों का हिस्सा है और इसे लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता।"

फैसले के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि भारतीय संविधान में दिए गए धार्मिक अधिकार हमारे मौलिक अधिकारों का ही हिस्सा है और इसको लेकर किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं किया जा सकता। जमीयत ने कहा कि इसके लिए हमारी लड़ाई हर स्तर पर जारी रहेगी। इसके आगे जमीयत ने ये भी कहा कि, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ संविधान के मौलिक अधिकारों में शामिल है और संविधान इसकी सुरक्षा की गारंटी देता है।"

मुस्लिम लोगों से तलाक न देने की अपील की

तीन तलाक पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने तलाक न देने की अपील की। जमीयत ने कहा कि शरियत की नजर में तलाक बुरी चीज है इसलिए वो अपील करती है कि जब तक जरूरी न हो तब तक तलाक न दें। 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है ? 

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने मंगलवार को ट्रिपल तलाक पर फैसला सुनाते हुए 3-2 के बहुमत से इसे असंवैधानिक और गैर-कानूनी करार दिया था। साथ ही कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को इस्लाम और कुरान के खिलाफ भी बताया था। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने इस पर फैसला देते हुए संसद को 6 महीने के अंदर इस पर कानून बनाने के लिए कहा था।

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