आज से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित राज्य, माथुर और मुर्मू ने ली उप-राज्यपाल पद की शपथ

आज से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित राज्य, माथुर और मुर्मू ने ली उप-राज्यपाल पद की शपथ

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-31 03:07 GMT
आज से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित राज्य, माथुर और मुर्मू ने ली उप-राज्यपाल पद की शपथ

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के लिए आज (31 अक्टूबर 2019) का दिन इतिहास बन गया है। आज से जम्मू-कश्मीर का राज्य के रूप में अस्तित्व समाप्त हो गया है। वहीं दो नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बन गए हैं। अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद यह निर्णय प्रभावी हुआ है। गृहमंत्रालय ने बुधवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी। अधिसूचना में मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर संभाग ने प्रदेश में केंद्रीय कानूनों को लागू करने समेत कई घोषणा की। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उपराज्यपाल गिरिश चंद्र मुर्मू और आर.के.माथुर होंगे। 

माथुर बने लद्दाख के पहले उपराज्यपाल
उपराज्यपाल के शपथग्रहण का आयोजन श्रीनगर और लेह में किया जाएगा। पहले आर.के.माथुर ने लेह में शपथ ली। उन्हें जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने शपथ दिलाई। माथुर त्रिपुरा कैडर के आईएएस अफसर हैं और रक्षा सचिव भी रह चुके हैं। आईएएस अधिकारी उमंग नरूला को आर.के.माथुर का सलाहकार नियुक्त किया है। वहीं श्रीनगर में गिरिश चंद्र मुर्मू शपथ की।

बना नया इतिहास
खास बात ये है कि दोनों केंद्र शासित प्रदेश देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जंयती के दिन अस्तित्व में आए। पटेल को देश की 500 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय करने का श्रेय है। आज पूरा देश सरदार पटेल की जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मना रहा है। 

पांच अगस्त को समाप्त हुआ विशेष दर्जा
विशेष दर्जे को समाप्त करने और इसके विभाजन की घोषणा पांच अगस्त को राज्यसभा में की गई। अब नए कानून के तहत जम्मू-कश्मीर में पुडुचेरी की तरह विधानसभा होगी। वहीं लद्दाख चंडीगढ़ की तरह बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा। जम्मू-कश्मीर की कानून-व्यवसथा और पुलिस पर केंद्र का सीधा नियंत्रण होगा। जमीन भी वहां के निर्वाचित सरकार के अधीन होगी। लद्दाख केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण में होगा। 

आज से क्या बदला

  • पहले जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल पद था, लेकिन केंद्रशासित होने से उप-राज्यपाल होंगे।
  • जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कम से कम 106 केंद्रीय कानून लागू होंगे। 
  • विधानसभा में अनुसूचित जाति के साथ अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित होंगी। 
  • जम्मू-कश्मीर में पहले विधान परिषद होती थी, वो अब नहीं होगी। 
  • पुलिस व्यवस्था-जम्मू कश्मीर में डीजीपी का मौजूदा पद कायम रहेगा। 
  • लद्दाख में इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस वहां के पुलिस का मुखिया होगा।
  • दोनों ही केंद्र शासित राज्यों की पुलिस केंद्र सरकार के निर्देश पर काम करेगी।
  • हाईकोर्ट-फिलहाल जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर और जम्मू बेंच मौजूदा व्यवस्था के अंतर्गत काम करेंगी और लद्दाख के मामलों की सुनवाई भी अभी की तरह ही होगी। चंडीगढ़ की तर्ज पर इसे लागू करने का फैसला लिया गया है कि दोनों केंद्र शासित प्रदेशों का एक ही हाईकोर्ट होगा, लेकिन एडवोकेट जनरल अलग होंगे।
  • जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए गृह मंत्रालय ने संयुक्त सचिव के स्तर के एक नए अधिकारी की तैनाती की मांग की है।साथ ही गृह मंत्रालय में पहली बार जम्मू-कश्मीर के अलावा लद्दाख सेक्शन भी खोला गया है।
  • सरकार की योजना के मुताबिक लद्दाख डिवीजन के विकास के लिए केंद्र सरकार जल्दी एक बड़े पैकेज की घोषणा करने जा रही है और उससे पहले लद्दाख डिवीजन में गवर्नर के दो एडवाइजर भी नियुक्त किए जाएंगे।
  • नई व्यवस्था के तहत आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए यूनियन टेरिटरी के अफसर तैनात किए जाएंगे। 
  • केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती-आने वाले दिनों में भी इन दोनों केंद्र शासित राज्यों में केंद्र सरकार के निर्देश पर ही केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती होगी। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में फिलहाल जो आयोग काम कर रहे थे, अब उनकी जगह सरकार के आयोग काम करेंगे।
  • विधायिका का कामकाज-दोनों केंद्र शासित राज्यों में एलजी की भूमिका प्रमुख होगी और उन्हीं की अनुमति से महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।
  • जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित राज्य बन जाने के बाद पुलिस और कानून-व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन हो जाएगी। राज्य में भूमि व्यववस्था की देखरेख का जिम्मा निर्वाचित सरकार के तहत ही किया जाएगा। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर में सरकारी कामकाज की भाषा अब उर्दू नहीं हिंदी हो जाएगी।
  • नए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 107 सदस्य हैं, जिनकी परिसीमन के बाद संख्या बढ़कर 114 तक हो जाएगी। वहीं, विधायिका में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए पहले की तरह ही 24 सीट रिक्त रखी जाएंगी।
  • केंद्र सरकार जल्द ही इन दोनों केंद्र शासित राज्यों के सरकारी कर्मचारियों से उनके काम करने के प्राथमिकता की जगह पूछेगी। 
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