दिग्गजों के कारण भाजपा ने रोकी भोपाल-इंदौर सीट, कैलाश, शिवराज और उमा के नाम 

दिग्गजों के कारण भाजपा ने रोकी भोपाल-इंदौर सीट, कैलाश, शिवराज और उमा के नाम 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-24 10:12 GMT
दिग्गजों के कारण भाजपा ने रोकी भोपाल-इंदौर सीट, कैलाश, शिवराज और उमा के नाम 

धर्मेंद्र पैगवार, भोपाल। राजधानी से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की उम्मीदवारी के बाद भाजपा ने भोपाल, इंदौर और ग्वालियर सीट पर उम्मीदवारों के नाम होल्ड कर लिए है। भाजपा और संघ परिवार यहां किसी बड़े नेता को लड़ाना चाहते हैं। इनमें भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय,पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पार्टी उपाध्यक्ष उमा भारती  के नाम पर विचार हो रहा है। कांग्रेस भोपाल में मुस्लिम, ​दलित और सिंधी वोट बैंक पर नजर लगाए है। इसी तरह कांग्रेस में महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी टफ सीट से चुनाव लड़ने का दबाव है। इंदौर या विदिशा से उनके नाम की चर्चा के कारण भाजपा ने ग्वालियर और विदिशा से भी उम्मीदवारी घोषित नहीं करने की एक वजह यह भी है।


दिग्विजय सिंह को लेकर भाजपा के उपर सबसे बड़ा दबाव संघ परिवार का है। संघ किसी भी हालत में सिंह को लोकसभा जाने से रोकना चाहता है। ऐसे में कोशिश की जा रही है कि किसी बड़े नेता को उनके खिलाफ उतारा जाए ताकि पार्टी में भितरघात को रोक कर एकजुटता से चुनाव लड़ा जाए। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि पूर्व सीएम चौहान के अलावा विजयवर्गीय और उमा भारती के नाम विचार में है। रविवार को इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम में पार्टी महा​सचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पत्रकारों से कहा कि यदि पार्टी उनसे चुनाव लड़ने के बारे में पूछती है तो वे दिग्विजय सिंह के खिलाफ लड़ना पसंद करेंगे। गले में केसरिया  दुपट्टा डाले कैलाश संघ और कटृटरपंथी संगठनों की पहली पसंद हो सकते हैं। कांग्रेस नेता सिंह के बयान संघ और इन संगठनों को चुभते रहे है। ऐसे में कैलाश की उम्मीदारी संघ को ताकत दे सकती है। 


संघ और पार्टी चौहान और उमा भारती के नाम पर भी विचार कर रहा है। उमा भारती 1999 में भोपाल से सुरेश पचौरी को हराकर लोकसभा सदस्य रह चुकी है। भोपाल में कर्मचारी वोट, सपाक्स की ताकत आदि का अंदाजा भी लगाया जा रहा है। 

सिंधिया की उम्मीदवारी पर टिकी हैं निगाह
दिग्विजय सिंह की भोपाल से उम्मीदवारी तय होने के बाद कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी टफ सीट से चुनाव लड़ने का दबाव है। उनका नाम इंदौर और विदिशा से लिया जा रहा है। यदि वो इनमें से किसी सीट से या फिर मोदी के खिलाफ बनारस से लड़ते हैं तो वे ग्वालियर या गुना जैसी जिताऊ सीट से भी चुनाव लडेंगे, य उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे का नाम भी आगे कर सकते हैं। भाजपा ने विदिशा, इंदौर और ग्वालियर सीट पर इस कारण को ध्यान में रखते हुए भी उम्मीदवार घोषित नहीं किए है। 


ये है दिग्विजय सिंह का गणित
कांग्रेस नेता दिग्विजय​ सिंह का गणित मुस्लिम, दलित और राजपूत मतदाताओं के अलावा लालकृष्ण आडवाणी की अनदेखी के बाद नाराज हुए सिंधी समाज के करीब डेढ़ लाख मतों पर टिका है। भोपाल लोकसभा सीट पर 4,75000 मुस्लिम वोटर है। इसके अलावा दो लाख दलित हैं। राजपूत समाज उनके नाम पर एकमुश्त वोटिंग कर सकता है। इस सब समीकरणों के चलते वे भोपाल आए हैं। 


सागर से मलैया का नाम लगभग तय
भाजपा ने सागर लोकसभा सीट से पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया का नाम लगभग तय कर लिया है। वे पिछला विधानसभा चुनाव दमोह से मामूली अंतर से हार गए थे। सागर में यादव समाज के बाद जैन मतदाताओं की बड़ी संख्या है। इधर पार्टी का एक धडा राजगढ़ से साध्वी प्रज्ञा सिंह को चुनाव में उतारने की वकालत कर रहा है।

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