कभी हार्डवेयर की दुकान चलाते थे येदियुरप्पा, जानिए सियासी सफर

कभी हार्डवेयर की दुकान चलाते थे येदियुरप्पा, जानिए सियासी सफर

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-15 12:48 GMT
कभी हार्डवेयर की दुकान चलाते थे येदियुरप्पा, जानिए सियासी सफर

डिजिटल डेस्क, बंगलौर। कर्नाटक चुनाव के नतीजे लगभग घोषित हो चुके हैं, चुनाव परिणामों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है। बीएस येदियुरप्पा को बीजेपी पहले से ही अपना सीएम उमीदवार तय कर चुकी है। राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के सचिव रह चुके येदियुरप्पा पहले (दो बार) भी कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। 


येदियुरप्पा का जन्म 27 फ़रवरी 1943 को भारत के कर्नाटक राज्य के मांड्या जिले के बुक्कनकेरे में हुआ था। उनके पिता का नाम सिद्धलिंगप्पा और माता का नाम पुट्टतायम्मा था। येदियुरप्पा हिंदू धर्म के लिंगायत समुदाय के हैं। कर्नाटक के तुमकुर जिले में येदियुरप्पा स्थान पर संत सिद्धलिंगेश्वर द्वारा बनाए गए शैव मंदिर के नाम पर उनका नाम रखा गया था। जब येदियुरप्पा चार साल के थे तब ही इनकी माता की मौत हो गई थी। उन्होंने कला से स्नातक किया और इसके बाद आरएसएस में एक आम कार्यकरत के रूप में काम किया। 1965 में वे समाज कल्याण विभाग के प्रथम श्रेणी के क्लर्क की परीक्षा पास की। लेकिन उन्होंने उस पद पर कार्य करना स्वीकार नहीं किया। जिसके बाद वे शिकारीपुर चले गए जहां उन्होंने वीरभद्र शास्त्री चावल मील में क्लर्क की नौकरी कर ली। 1967 में उन्होंने वीरभद्र शास्त्री की पुत्री मैत्रादेवी से शादी कर ली। बाद के दिनों में उन्होंने शिमोगा में हार्डवेयर की दुकान खोली। 

साल 1972 में येदियुरप्पा ने तलुक में जनसंघ में अध्यक्ष पद संभाला। इंदिरा गांधी के शासन में साल 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान वे 45 दिनों तक जेल में भी रहे। सन 1983 में कर्नाटक विधानसभा के निचले सदन में वे पहली बार निर्वाचित हुए। बता दें कि येदियुरप्पा शिकारपुरा सीट से 6 बाद विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए हैं। 1988 में उन्हनें कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। उसके बाद सन 1994 में विधानसभा चुनाव के बाद वो विपक्ष के नेता बने। 2004 में पूर्व मुख्यमंत्री धरम सिंह के कार्यकाल के दौरान येदियुरप्पा को कर्नाटक विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल के नेता के रूप में कार्यरत थे। जिसके बाद धरम सिंह सरकार को गिराने के लिए बीजेपी और जेडीएस के बीच हुए समझौते के आधार पर जेडीएस नेता कुमारस्वामी को 20 महीनों के लिए मुख्यमंत्री बनाया जाना तय हुआ। कुमारस्वामी के 20 महीनों के कार्यकाल के बाद येदियुरप्पा को सीएम बनाना तय हुआ था। 

इसके बाद मुख्यमंत्री के तौर पर कुमारास्वामी ने 20 महीनों तक अपना कार्यकाल संभाला, लेकिन बाद में वे समझौते में तय किए गए वादे को मानने से मुकर गए। साल 2007 में दोनों पक्षों ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मार्ग प्रशस्त करने का निर्णय लिया। हालांकि 2011 में जेडीएस ने मंत्रालयों के बंटवारे पर असहमति व्यक्त करते हुए उनकी सरकार को समर्थन देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफ दे दिया। साल 2008 में विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के उमीदवार येदियुरप्पा ने शिकारपुरा सीट से चुनाव लड़ा था। उस वक्त उनका सामना पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके एस बंगरप्पा से हुआ। उस समय बंगरप्पा को कांग्रेस और जेडीएस का समर्थन प्राप्त था, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें येदियुरप्पा के हाथों 45000 वोटों से करारी हार का सामना करना पड़ा था। 

येदियुरप्पा के पतन का सिलसिला उनके ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद से ही शुरू हो चुका था। उन्हें माइनिंग घोटाले में लगे आरोपों के कारण 20 दिनों तक जेल की भी हवा खानी पड़ी थी। इस मामले में उनके दोनों बेटों के ऊपर भी आरोप लगाए गए थे। यह आरोप लगने के बाद येदियुरप्पा ने साल 2012 में अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया था। जिसके बाद साल 2013 में बीजेपी में उनकी बिना शर्त वापसी भी हुई। जिसके बाद इस साल हो रहे चुनावों में बीजेपी ने येदियुरप्पा को सीएम पद का अपना उमीदवार घोषित किया है। चुनाव परिणाम आने के बाद येदियुरप्पा ने राज्यपाल से मुलाकात कर अपनी सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया है। हालांकि बहुमत ना हासिल कर पाने की स्थिति में अभी भी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर संशय बरकरार है। 

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