कर्नाटक विधानसभा चुनाव देश में अब तक का सबसे महंगा इलेक्शन, CMS सर्वे का दावा

कर्नाटक विधानसभा चुनाव देश में अब तक का सबसे महंगा इलेक्शन, CMS सर्वे का दावा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-15 04:01 GMT
कर्नाटक विधानसभा चुनाव देश में अब तक का सबसे महंगा इलेक्शन, CMS सर्वे का दावा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के चुनाव दिन ब दिन महंगे होते जा रहे हैं। बात चाहे लोकसभा चुनाव की हो या विधानसभा चुनाव की, हर चुनाव पिछले चुनाव से बहुत ज्यादा महंगा होता जा रहा है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव, चुनाव प्रचार में बेहिसाब खर्च के मामले में देश का सबसे महंगा चुनाव साबित हुआ है। गैर सरकारी संगठन और थिंक टैंक सर्वेक्षण सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने दावा किया है कि हाल ही में संपन्न कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 9,500-10,500 करोड़ रुपये के बीच धन खर्च किया गया है।

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अब तक का सबसे महंगा चुनाव 

कर्नाटक विधानसभा चुनाव, खर्च के लिहाज से अब तक का सबसे महंगा चुनाव प्रचार साबित हो रहा है, जिस गति से खर्च बढ़ रहा है, उसे देखते हुए माना जा सकता है कि हाल ही में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में रुपए खर्च करने का एक नया रिकॉर्ड बन गया है। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) की के अनुसार 12 मई को हुआ कर्नाटक विधानसभा चुनाव राजनीतिक पार्टियों और उनके द्वारा खर्च किए गए धन के मामले में देश में आयोजित ‘अब तक का सबसे महंगा’ विधानसभा चुनाव साबित रहा है।  सीएमएस के अनुसार विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और उनके उम्मीदवारों द्वारा कर्नाटक चुनाव में 9,500-10,500 करोड़ रुपये के बीच धन खर्च किया गया।

यह खर्चा राज्य में आयोजित पिछले विधानसभा चुनाव के खर्च से दोगुना है। सर्वेक्षण में सामने आया है कि प्रधानमंत्री के अभियान में हुआ खर्चा शामिल नहीं है। पिछले 20 वर्षों के सीएमएस द्वारा किए गए जमीनी सर्वेक्षण यह संकेत देते हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हुआ खर्चा आम तौर पर देश के दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव में हुए खर्चे से ज्यादा है।

75 फीसदी बढ़ा उम्मीदवारों का व्यक्तिगत खर्च

एक गैर सरकारी संगठन और थिंक टैंक के रूप में काम करने वाले सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने अपने सर्वे में कर्नाटक चुनाव को ‘धन पीने वाला’ चुनाव बताया है। सर्वेक्षण में बताया गया है कि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु देश में विधानसभा चुनाव में खर्चे के मामले में सबसे आगे हैं। सीएमएस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पिछले लोकसभा चुनाव में 30,000 करोड़ रुपया खर्च हुआ था। लेकिन, जिस तरह से चुनाव प्रचार पर खर्च बढ़ रहा है, उसे देखते हुए साफ है कि अगले साल होने वाले आम चुनाव में 50 से 60 हजार करोड़ रुपए का खर्च होगा।

 

सर्वेक्षण में पाया गया कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जो कुल चुनावी खर्च हुआ हैं, उसमें व्यक्तिगत उम्मीदवारों का खर्चा 75 फीसदी तक बढ़ गया है। संगठन ने एक बयान में कहा कि ऐसे में लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार का खर्चा 55-60 फीसदी बढ़ने की संभावना है, जबकि राजनीतिक पार्टियों का खर्चा 29-30 फीसदी तक बढ़ने की संभावना है, जो कि 12,000-20,000 करोड़ रूपये तक बढ़ सकता है।

 

चुनाव खर्च अन्य राज्यों से कहीं ज्यादा

पिछले 20 वर्षों के सीएमएस द्वारा किए गए जमीनी सर्वेक्षण से यह पता चलता है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हुआ खर्चा आम तौर पर देश के दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव में हुए खर्चे से ज्यादा है। सर्वेक्षण में बताया गया है कि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु देश में विधानसभा चुनाव में खर्चे के मामले में सबसे आगे हैं। सीएमएस के एन भास्कर राव ने बताया कि खर्च की दर जिस गति से बढ़ रही है, उसने चुनाव प्रचार को बेहद पेचीदा बना दिया है। सर्वेक्षण में पाया गया कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जो कुल चुनावी खर्च हुआ हैं, उसमें व्यक्तिगत उम्मीदवारों का खर्चा बहुत बढ़ गया है। चुनाव प्रचार में खर्च की दर यही रही तो लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार का खर्चा 55-60 फीसदी बढ़ने की संभावना है। राजनीतिक पार्टियों का खर्चा 29-30 फीसदी तक बढ़ने की संभावना है, जो कि 12,000-20,000 करोड़ रूपये तक बढ़ सकता है। 

 

भाजपा सबसे अमीर, बढ़ी 81 फीसदी आय

इससे पहले चुनाव में खर्च को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने भी अपनी एक रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि कर्नाटक में चुनाव प्रचार के लिए बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस ने कितने हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल किया है। दरअसल हेलिकॉप्टरों की मांग से विभिन्न दलों की ‘अमीरी’ और ‘गरीबी’ का भी पता चलता है। एडीआर के अनुसार पिछले वित्त वर्षों में भाजपा की आय 81 प्रतिशत बढ़ी है। इस हिसाब से ‘अमीर’ भाजपा ने कर्नाटक चुनाव में प्रचार के लिए निर्वाचन आयोग के पास हैलिकॉप्टर सेवा की मांग से संबंधित 53 आवेदन दिए थे।

 

वहीं एडीआर के अनुसार कांग्रेस की आय में 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, इसलिए इस ‘गरीब’ पार्टी ने कर्नाटक चुनाव में प्रचार के लिए सबसे कम 10 हेलिकॉप्टरों का आवेदन आयोग को दिया था। कर्नाटक चुनाव में हेलिकॉप्टरों की मांग में दूसरे स्थान पर जनता दल (एस) रही, जिसने निर्वाचन आयोग को हेलिकॉप्टर-प्रचार के लिए 16 आवेदन सौंपे थे। 

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