जानिए रमजान की सहरी और इफ्तार में खजूर का महत्व

जानिए रमजान की सहरी और इफ्तार में खजूर का महत्व

Tejinder Singh
Update: 2018-05-28 12:10 GMT
जानिए रमजान की सहरी और इफ्तार में खजूर का महत्व

डिजिटल डेस्क, नागपुर। खजूर को "खुशी का फल’ कहा जाता है। रमजानुल मुबारक की सहरी और इफ्तार में खजूर का इस्तेमाल हर रोजेदार करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि खजूर की खेती आठ हज़ार वर्ष पहले दक्षिणी इराक में आरंभ की गई थी। इन वृक्षों की आयु 200 वर्षों तक की होती है और वह 100 वर्ष तक फलता-फूलता है। खजूर में नर और मादा वृक्ष पाए जाते हैं और इन दोनों के फूलों के बीच क्रॉस पॉलिनेशन होता है तब ही मादा वृक्षों में फल आते हैं। एक नर वृक्ष के फूल 100 मादा वृक्षों के लिए पर्याप्त माने जाते हैं। इस्लाम से पूर्व अरब कबीले आपसी दुश्मनी में एक-दूसरे को क्षति पहुंचाने में एक तरीका यह भी अपनाते थे कि दुश्मन के खजूर के बागों को क्षतिग्रस्त कर दिया जाए। उनमें नर वृक्षों को विशेषकर काट दिया जाता था।

इस्लाम ने इस कार्य को निषिद्ध किया और वृक्षों को बिना किसी अत्यधिक आवश्यकता के काटने को "ज़मीन पर फसाद’ की संज्ञा दी गई। पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की एक नीति के अंतर्गत यह प्रयास पौधों और वृक्षों के लिए सुरक्षा और संवर्धन के तहत था। खजूर के पत्तों पर कुरआन की पंक्तियां लिखे जाने की बात कही गई है। यह भी बताया गया है कि हजरत मोहम्मद स.अ.व. के बिस्तर और तकिए में खजूर की पत्तियां भरी जाती थीं। हजरत मोहम्मद स.अ.व.  ने फरमाया - पेड़ों में एक ऐसा पेड़ है जो मर्दे मोमिन की तरह होता है। उसकी पत्तियां भी नहीं झड़तीं। बताओ वह कौन-सा पेड़ हैं।

स्वयं हजरत मोहम्मद स.अ.व. ने फ़रमाया- यह खजूर का पेड़ है। खजूर का वनस्पतिक नाम फोनिक्स है। इसमें 60 प्रतिशत इन्वर्ट शुगर के अलावा स्टार्च, प्रोटीन, टेनिन, प्रेक्टिन, सेल्यूलोज और वसा अलग- अलग मात्रा में मौजूद है। पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खजूर खाने और उसे पानी में भिगो कर पानी पीने का तरीका बताया। उन्होंने फरमाया कि अजवा खजूर जन्नत में से है, उसमें जहर से स्वास्थ्य है। डॉ एम.ए. रशीद के मुताबिक यह बहुत-सी बीमारियों का इलाज है। खजूर को बीमारी के बाद स्वस्थ लाभ के समय नहीं खाना चाहिए। खजूरों को पानी से अच्छी तरह धोकर ही इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि किसी भी तरह के संक्रमण से बचा जा सके।

इसमें विटामिन ए, बी 1, बी 2, सी भी पाए जाते हैं। इसमें कैल्शियम, मैग्निशियम, आयरन, सोडियम, पोटेशियम, फास्फोरस, फायबर, ग्लूकोज, सुक्रोज, फ्रुक्टोज, सल्फर, क्लोरीन जैसे मूल्यवान पदार्थ  पाए जाते हैं। यह लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी फल है। इसके पोषक तत्व इंसान को स्वस्थ और हष्ट-पुष्ट रखते हैं। शरीर के लिए ये तत्व प्रतिदिन की आवश्यकता में आते हैं। मैग्नेशियम दिल की धड़कन और रक्तचाप को नियंत्रित करता है। फेफड़ों को कैंसर से बचाता है। मांसपेशियों, धमनियों, तंत्रिकाओं और हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। हड्डियों को ऑस्टियोपोरोसिस से भी बचाता है।

पोटेशियम दिल और शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करता है। हड्डियों के ढांचे में सुधार करता है और वह कैंसर के खतरे से बचाता है। फास्फोरस हड्डियों और दांतों को सुरक्षा प्रदान करता है। आयरन अन्य तत्वों की सहायता से लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है जिससे मांसपेशियों और कोशिकाओं तक आॅक्सीजन की आपूर्ति आसानी से हो जाती है। इससे दृष्टि दोष भी दूर होता है। इसके माध्यम से कोलेस्ट्रॉल स्तर कम होता है जिससे हृदय रोगों से बचा जा सकता है।

सोडियम नर्वस सिस्टम के लिए बहुत ही लाभकारी है। इसमें मौजूद फाइबर शरीर के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। खजूर में ग्लूकोज, सुक्रोज, फ्रुक्टोज जैसे तत्वों के कारण शरीर को तुरंत शक्ति मिलती है ।खजूर के सेवन से पाचन तंत्र ठीक रहता है। इसमें मौजूद प्राकृतिक शुगर रोजे की हालत में कम हुए शुगर लेवल को बराबर कर देती है। इफ्तार में एक-दो खजूर के सेवन से शरीर में भरपूर ऊर्जा का निर्माण हो जाता है। रोजे के सहरी और इफ्तार में खजूर का उल्लेख है।

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