महंगा खरीदा राफेल जेट, देश को 12,362 करोड़ का हुआ नुकसान : कांग्रेस

महंगा खरीदा राफेल जेट, देश को 12,362 करोड़ का हुआ नुकसान : कांग्रेस

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-10 03:34 GMT
महंगा खरीदा राफेल जेट, देश को 12,362 करोड़ का हुआ नुकसान : कांग्रेस

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। कांग्रेस ने एक बार फिर से राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है। शुक्रवार को कांग्रेस के सीनियर लीडर गुलाम नबी आजाद और रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर नेशनल सिक्योरिटी के साथ "समझौता" करने और राफेल डील से सरकारी खजाने को 12,362 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने राफेल फाइटर जेट को बनाने वाली कंपनी "डसॉल्ट एविएशन" की एनुअल रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस कंपनी ने अपना एक फाइटर जेट कतर और मिस्त्र को कम दाम पर बेचा और भारत में उसे 351 रुपए ज्यादा पर बेचा गया। बता दें कि राफेल डील को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी मोदी सरकार को घेर चुके हैं और उन्होंने भी कहा है कि इस डील में कुछ न कुछ तो गलत हुआ है।

एक राफेल की कीमत में 351 करोड़ का फर्क

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस के दो सीनियर लीडर गुलाम नबी आजाद और रणदीप सुरजेवाला ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि 2016 में भारत को 36 राफेल जेट 7.5 अरब यूरो में बेचे गए, जबकि 2015 में कतर और मिस्त्र को यही 48 जेट 7.9 अरब में बेचे गए थे। कांग्रेस ने राफेल जेट बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन की एनुअल रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि "इस रिपोर्ट के मुताबिक,भारत को एक जेट करीब 1670.70 करोड़ रुपए में बेचा गया, जबकि कतर और मिस्त्र को एक राफेल जेट 1319.80 करोड़ रुपए में बेचा गया था। इस हिसाब से हर जेट की कीमत में 351 करोड़ रुपए का फर्क है।"

 

 



तो बच सकते ते 41,212 करोड़ रुपए

कांग्रेस लीडर गुलाम नबी आजाद, रणदीप सुरजेवाला और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने दावा किया कि राफेल डील में मोदी सरकार ने ट्रांसपेरेंसी नहीं दिखाई। आजाद ने दावा किया कि "अगर मोदी सरकार ने यूपीए सरकार के दौरान की गई 126 राफेल जेट की डील को रद्द नहीं करती तो इससे 41,212 करोड़ रुपए बच सकते थे।" उन्होंने कहा कि "राफेल डील पर मोदी सरकार ने ध्यान भटकाने की कोशिश की, जिससे अब जवाब मिलने के बजाय कई सवाल पैदा हो गए हैं।"

526 करोड़ की बजाय 1670 करोड़ में क्यों खरीदा?

मीडिया से बात करते हुए गुलाम नबी आजाद ने आगे कहा कि "जब 126 राफेल जेट खरीदने की डील हुई थी, तो फिर 36 जेट ही क्यों खरीदे गए, जबकि पहले डील के लिए बोली लग चुकी थी।" उन्होंने कहा कि "क्या ये नेशनल सिक्योरिटी के साथ समझौता नहीं है? प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री राफेल डील के बारे में क्यों छिपा रहे हैं? क्या ये सही है कि 12 दिसंबर 2012 में एक राफेल जेट की जो बोली लगी थी, वो 526.1 करोड़ रुपए थी, जबकि मोदी सरकार ने एक विमान 1670.70 करोड़ रुपए की कीमत पर खरीदा।"

क्या है राफेल डील? 

भारत ने 2010 में फ्रांस के साथ राफेल फाइटर जेट खरीदने की डील की थी। उस वक्त यूपीए की सरकार थी और 126 फाइटर जेट पर सहमित बनी थी। इस डील पर 2012 से लेकर 2015 तक सिर्फ बातचीत ही चलती रही। इस डील में 126 राफेल जेट खरीदने की बात चल रही थी और ये तय हुआ था कि 18 प्लेन भारत खरीदेगा, जबकि 108 जेट बेंगलुरु के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में असेंबल होंगे यानी इसे भारत में ही बनाया जाएगा। फिर अप्रैल 2015 में मोदी सरकार ने पेरिस में ये घोषणा की कि हम 126 राफेल फाइटर जेट को खरीदने की डील कैंसिल कर रहे हैं और इसके बदले 36 प्लेन सीधे फ्रांस से ही खरीद रहे हैं और एक भी राफेल भारत में नहीं बनाया जाएगा।

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