स्वयंसेवक किसी भी दल में कर सकता है काम, हम नहीं रोकते : मोहन भागवत

स्वयंसेवक किसी भी दल में कर सकता है काम, हम नहीं रोकते : मोहन भागवत

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-18 15:40 GMT
स्वयंसेवक किसी भी दल में कर सकता है काम, हम नहीं रोकते : मोहन भागवत
हाईलाइट
  • RSS की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के दूसरे दिन मोहन भागवत ने बताया बीजेपी और संघ का रिश्ता
  • मोहन भागवत ने यह भी कहा कि हम किसी भी स्वयंसेवक को किसी अन्य दल में जाने से नहीं रोकते
  • संघ प्रमुख बोले- बीजेपी की राजनीति और उनकी नीतियों में हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के दूसरे दिन सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्पष्ट किया है कि बीजेपी सरकार की राजनीति और नीतियों में RSS का कोई हस्तक्षेप नहीं है। उन्होंने बताया, "बीजेपी को सलाह चाहिए तो वो पूछते हैं अगर हम सलाह दे सकते हैं तो हम देते हैं। पर उनकी राजनीति पर हमारा कोई प्रभाव नहीं है, सरकार की नीतियों में हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं है।" उन्होंने यह भी कहा कि संघ के पास बीजेपी सरकार का रिमोट नहीं है। बता दें कि संघ के इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का विषय "भविष्य का भारत : RSS का दृष्टिकोण" है। इसी पर संघ प्रमुख अपना विचार रख रहे थे। सोमवार को भी उन्होंने इस विषय पर कार्यक्रम को संबोधित किया था और कांग्रेस के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान की बात कही थी।

कार्यक्रम के दूसरे दिन बीजेपी और संघ के रिश्तों पर अपनी बात रखते हुए मोहन भागवत ने कुछ सवालों का जिक्र करते हुए बताया, "बीजेपी में क्यों सबसे ज्यादा स्वयंसेवक हैं? अन्य दलों में स्वयंसेवक क्यों नहीं जाते? इस पर अन्य दलों को विचार करना है। हम किसी भी स्वयंसेवक को किसी अन्य दल में जाने से नहीं रोकते न ही किसी विशिष्ट राजनीतिक दल का काम करने के लिए कहते हैं।"

दूसरे दिन संघ प्रमुख के संबोधन की खास बातें: 

  • हमें सामर्थ्य संपन्न देश चाहिये, लेकिन सामर्थ्य का उपयोग दूसरों को दबाने के लिये नही करना, लेकिन जिसका सामर्थ्य नही है, उसकी अच्छी बातें भी दुनिया मानती नहीं है, यह वास्तविकता है।
  • संघ का काम बंधु भाव का है और इस बंधु भाव का एक ही आधार है विविधता में एकता, और यह विचार देने वाली हमारी चलती आयी हुई विचारधारा है, जिसे दुनिया हिंदुत्व कहती है, इसलिये हम हिंदू राष्ट्र कहते हैं।
  • हिंदुत्व के तीन आधार हम मानते हैं, देशभक्ति, पूर्वज गौरव और संस्कृति, यह सभी का सांझा है।
  • हिंदू राष्ट्र का मतलब यह नहीं है कि इसमें मुस्लिम नहीं रहेगा, जिस दिन ऐसा कहा जायेगा उस दिन वो हिंदुत्व नही रहेगा, हिंदुत्व तो विश्व कुटुंब की बात करता है।
  • वैदिक ऋषियों के समय अपना ज्ञान पूरे विश्व में गया, तथागत के काल में सारी दुनिया में इसी धर्म का प्रचार हुआ, आज भी अनेकों संत महात्मा जाते हैं और इन बातों को बताते हैं, वो धर्मांतरण नहीं करते। 
  • सभी विविधतायें अपने यहां स्वीकार्य हैं, भारत की पहचान यह बनी है, यह वैश्विक धर्म है, भारत में इसका निर्माण हुआ और एक ट्र्स्टी के नाते समय-समय पर विश्व को इस ज्ञान को देने वाला भारत है।
  • सभी के कल्याण में अपना कल्याण और अपने कल्याण से सबका कल्याण, ऐसा जीवन जीने का अनुशासन, और सभी के हितों का संतुलित समन्वय हिंदुत्व है, भारत से निकले सभी संप्रदायों का जो सामूहिक मूल्य बोध है, उसका नाम हिंदुत्व है।
     

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